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शेयर बाजार में गिरावट: लगातार चार दिन की तेजी के बाद निवेशकों में निराशा

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शेयर बाजार में अचानक आई गिरावट: क्या है वजह?

बाजार की शुरुआत में ही लगा झटका, निवेशकों में चिंता-दोस्तों, शेयर बाजार में बुधवार को कुछ ऐसा हुआ जिसने सभी को चौंका दिया। चार दिनों की लगातार तेजी के बाद, अचानक बाजार में गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही लाल निशान में खुले, जिससे निवेशकों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खिंच गईं। ऐसा लगा जैसे पिछले दिनों की सारी बढ़त पर पानी फिर गया हो। इस गिरावट का असर एशियाई बाजारों की कमजोरी से भी जुड़ा है, जहाँ कई प्रमुख सूचकांकों में भी नरमी देखी गई। आइए, गहराई से समझते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसने बाजार का मिजाज अचानक बदल दिया।

किन शेयरों पर पड़ा सबसे ज्यादा असर?-जब बाजार गिरता है, तो कुछ शेयर दूसरों की तुलना में ज्यादा प्रभावित होते हैं। बुधवार की सुबह, 30 शेयरों वाले सेंसेक्स में 146 अंकों से ज्यादा की गिरावट आई, जिससे यह 81,497 के स्तर पर आ गया। वहीं, निफ्टी भी 47 अंकों से ज्यादा टूटकर 24,933 के पार चला गया। इस गिरावट में बजाज फाइनेंस, टाटा मोटर्स, ट्रेंट, बजाज फिनसर्व और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे बड़े नाम शामिल थे। हालांकि, अच्छी बात यह है कि एटरनल, भारती एयरटेल, इंफोसिस और एनटीपीसी जैसी कुछ कंपनियों ने इस मुश्किल वक्त में भी अपनी पकड़ बनाए रखी और मजबूती दिखाई। यह स्थिति निवेशकों को सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या यह सिर्फ एक अस्थायी गिरावट है या आने वाले समय में हमें और भी बड़ी हलचल देखने को मिल सकती है।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों का भी रहा प्रभाव-यह समझना ज़रूरी है कि भारतीय शेयर बाजार सिर्फ अपने दम पर नहीं चलता, बल्कि दुनिया भर के बाजारों का असर इस पर साफ दिखता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। एशियाई बाजारों में जैसे दक्षिण कोरिया का कोस्पी, जापान का निक्केई, शंघाई का कंपोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग, सभी में गिरावट दर्ज की गई। इसी तरह, मंगलवार को अमेरिकी बाजार भी कुछ खास नहीं कर पाए और ज्यादातर गिरावट के साथ बंद हुए। अब सबकी निगाहें अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के जैक्सन होल में होने वाले भाषण पर टिकी हैं। वहां से मिलने वाले संकेतों से यह तय होगा कि अमेरिका में ब्याज दरें किस दिशा में जाएंगी, जिसका सीधा असर भारत और दुनिया भर के बाजारों पर पड़ेगा।

जीएसटी सुधारों और भारत-चीन रिश्तों की भूमिका-आपको याद होगा कि मंगलवार को बाजार में अच्छी तेजी थी, जिससे सेंसेक्स 370 अंक चढ़कर 81,644 पर और निफ्टी 103 अंक बढ़कर 24,980 पर बंद हुआ था। इस तेजी के पीछे दो बड़ी वजहें थीं: पहली, यह खबर कि सरकार दिवाली से पहले जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) में कुछ बड़े सुधारों का ऐलान कर सकती है। इससे ऑटोमोबाइल, एफएमसीजी, बीमा और कुछ वित्तीय कंपनियों को फायदा होने की उम्मीद थी। दूसरी वजह थी भारत और चीन के बीच रिश्तों में सुधार की खबरें, जिसने बाजार को सहारा दिया था। लेकिन अब जानकारों का मानना है कि यह तेजी शायद ज्यादा दिन न टिके, खासकर 27 अगस्त की समय सीमा नजदीक आने के कारण, जब कुछ टैरिफ लागू होने वाले हैं। इससे बाजार पर फिर से दबाव बन सकता है।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली और कच्चे तेल की चाल-बाजार में आई इस गिरावट में विदेशी निवेशकों की बिकवाली का भी हाथ रहा। मंगलवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने करीब 634 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए, जो यह दिखाता है कि वे कुछ सतर्क रुख अपना रहे हैं। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में भी थोड़ी बढ़ोतरी हुई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड 0.11% बढ़कर 65.86 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, खासकर महंगाई और व्यापार घाटे पर। इसलिए, आने वाले दिनों में निवेशक कच्चे तेल की चाल पर भी बारीकी से नजर रखेंगे।

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