कठुआ में बादल फटने से बड़ा हादसा, चार की मौत और कई घायल

कठुआ में बादल का कहर: जोध घाटी में तबाही का मंजर, 4 की मौत-जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के एक शांत और दूरस्थ गांव, जोध घाटी में बीती रात एक भयानक प्राकृतिक आपदा ने दस्तक दी। अचानक फटे बादल ने न केवल जान-माल का भारी नुकसान पहुंचाया, बल्कि पूरे इलाके को खौफ और अनिश्चितता के अंधेरे में धकेल दिया। इस दुखद घटना में अब तक चार लोगों की जान जा चुकी है, जबकि छह अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है। यह विनाशकारी घटना शनिवार और रविवार की मध्यरात्रि को तब हुई जब आसमान से आफत बनकर बरसे बादल ने जोध घाटी को अपनी चपेट में ले लिया। इस अप्रत्याशित आपदा के कारण गांव का बाहरी दुनिया से संपर्क पूरी तरह कट गया, और घरों से लेकर खेतों तक, सब कुछ मलबे और पानी के सैलाब में समा गया।
रात के अंधेरे में अचानक आई तबाही-राजबाग इलाके के अंतर्गत आने वाले जोध घाटी गांव में जब यह भयानक मंजर हुआ, तब अधिकांश लोग गहरी नींद में थे। अचानक बादल फटने से हुई मूसलाधार बारिश और उसके साथ आए मलबे के सैलाब ने लोगों को संभलने का मौका तक नहीं दिया। रात के अंधेरे में चीख-पुकार मच गई और लोग दहशत में अपने घरों से बाहर भागने को मजबूर हो गए। गांव का संपर्क टूटने के कारण बचाव और राहत कार्यों में भारी बाधाएं उत्पन्न हुईं। अधिकारियों ने बताया कि बादल फटने के बाद आई बाढ़ और भूस्खलन ने खेतों को तबाह कर दिया और कई घरों को भी अपनी जद में ले लिया। स्थानीय लोगों ने भी फौरन राहत और बचाव कार्य में हाथ बंटाया। पुलिस और SDRF की टीमों ने अथक प्रयासों के बाद आखिरकार गांव तक पहुंचने का रास्ता बनाया। गांव में चारों ओर तबाही का जो मंजर था, वह बेहद भयावह था। ग्रामीणों की मानें तो उन्होंने अपने जीवन में कभी ऐसी विनाशकारी घटना नहीं देखी थी।
जान गंवाने वाले और गंभीर रूप से घायल-इस प्राकृतिक आपदा में अब तक चार लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं, जो इस घटना की भयावहता को दर्शाते हैं। वहीं, छह अन्य लोग घायल अवस्था में मिले हैं, जिन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया है। प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, घायलों में से कुछ की हालत काफी नाजुक बनी हुई है और उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इस हादसे की खबर फैलते ही पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है। राहत बचाव दल और स्थानीय ग्रामीण मिलकर अभी भी लापता लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं। यह घटना इसलिए भी अधिक मार्मिक है क्योंकि यह एक छोटा सा गांव है जहां हर कोई एक-दूसरे को जानता है, और इस दुख ने सभी को झकझोर कर रख दिया है।
भूस्खलन का खतरा और नदियों का उफान-कठुआ जिले में भारी बारिश का असर केवल जोध घाटी तक ही सीमित नहीं रहा। इसके चलते बगार्ड और चांडा जैसे अन्य गांवों में भी भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। लखनपुर थाना क्षेत्र के दिलवान-हुतली इलाके में भी मलबा गिरने की खबरें हैं, हालांकि वहां किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है। इस मूसलाधार बारिश के कारण जिले की प्रमुख नदियों और नालों का जलस्तर भी तेजी से बढ़ गया है। विशेष रूप से उझ नदी खतरे के निशान के करीब बह रही है, जिससे आसपास के गांवों में भय का माहौल है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और नदी-नालों के किनारे जाने से बचने की सलाह दी है, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
प्रशासन की अपील और भविष्य की तैयारी-जिला प्रशासन स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है और राहत कार्यों को गति देने का प्रयास कर रहा है। प्रभावित इलाकों में हर तरह की आवश्यक सहायता पहुंचाई जा रही है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे नदियों और नालों के पास न जाएं और किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें। साथ ही, भविष्य में ऐसी किसी भी अनहोनी से बचने के लिए ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की योजना पर भी काम चल रहा है। SDRF और पुलिस की टीमें लगातार इलाके में गश्त कर रही हैं ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके।
किश्तवाड़ की यादें: पहले भी हो चुकी है तबाही-यह पहली बार नहीं है जब जम्मू-कश्मीर को बादल फटने जैसी आपदा का सामना करना पड़ा हो। इससे पहले, 14 अगस्त को किश्तवाड़ जिले के चिसोटी गांव में भी बादल फटने से भीषण तबाही मची थी। यह वही गांव है जो मचैल माता मंदिर जाने वाले मार्ग पर अंतिम मोटरेबल पॉइंट है। उस दिन दोपहर करीब 12:25 बजे बादल फटने से हुई तबाही में 60 लोगों की जान चली गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। सबसे दुखद बात यह है कि उस घटना में आज भी 82 लोग लापता हैं, जिनमें 81 तीर्थयात्री और एक CISF जवान शामिल हैं। यह घटना जम्मू-कश्मीर में प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति और उनकी भयावहता को रेखांकित करती है।



