माह में एक बार नि:शुल्क चिकित्सा सेवाएँ, गरीब और वंचित वर्गों का सेवा भावना…..
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने चिकित्सकों से आग्रह किया है कि वे सेवा भावना के साथ गरीब और वंचित वर्गों का उपचार करें। माह में कम से कम एक बार ग्रामीण, दूरस्थ अंचलों और वंचित बस्तियों में नि:शुल्क चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करें। मनोचिकित्सक का उपचार व्यक्ति को उसके रिश्तों, कैरियर और जीवन के विभिन्न आयामों में सुधार कर उसे खुशहाल जिन्दगी देता है। उन्होंने अपेक्षा की कि संगोष्ठी मनोरोग के पीड़ित गरीब और वंचित वर्गों की सेवा भावना के साथ मदद और उपचार पथ के प्रदर्शन में सफल होगी। श्री पटेल आज नेशनल यंग सायक्याट्रिस्ट द्वारा “हैश टैग मेंटल हेल्थ” पर आयोजित दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि राष्ट्र और समाज की गतिविधियों का सुचारू संचालन नागरिकों की शारीरिक, मानसिक क्षमताओं के साथ सामाजिकता की सम्पूर्ण स्थिति में स्वस्थ होने पर निर्भर करता है। आज समाज के सभी क्षेत्रों और वर्गों में आत्महत्या की घटनाएँ निरंतर सुनाई दे रही है। यह तेजी से उभर रहे मानसिक स्वास्थ्य संकट का संकेत है। भारत सरकार द्वारा मानसिक रोगियों की गरिमा के साथ जीवन जीने के अधिकारों को सुनिश्चित करने, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति, मानसिक स्वास्थ्य देख भाल अधिनियम 2017 और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत उपचार, पुनर्वास और मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन के कार्य किए जा रहे हैं। सरकार के प्रयासों को प्रभावी बनाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य के सम्बन्ध में जन-जागरूकता और प्राथमिक देख-भाल में सामुदायिक सहभागिता के साथ प्रयास किए जाने चाहिए। राज्यपाल ने संगठन के सभी सदस्यों से कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल, आंगनवाड़ी, पंचायत पदाधिकारियों, पुलिस एवं अन्य ग्राम स्तरीय कर्मचारियों, शिक्षित व्यक्तियों के संवेदीकरण के प्रयासों में आगे आएं। संगोष्ठी में आयुष एवं अन्य चिकित्सा पद्धतियों के चिकित्सकों की सहभागिता से रोग चिन्हांकन, प्राथमिक देखभाल प्रयासों की संभावनाओं की तलाश करें। उन्होंने समाज में मनोरोगों की रोकथाम और उपचार प्रयासों के लिए मनोचिकित्सकों के वैचारिक विमर्श को सराहनीय और समय की आवश्यकता बताया है।
विशिष्ट अतिथि पद्मश्री डॉ. बी.एन. गंगाधर ने कहा कि मनोचिकित्सा के क्षेत्र में पूर्व की तुलना में आशावादी और बेहतर भविष्य का परिदृश्य बन रहा है। मनोचिकित्सा के विशेषज्ञों और विद्यार्थियों की संख्या में करीब 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। समाज में प्रचलित भ्रांतियों में कमी हुई है। मनोरोगों की उपचार पद्धति में योग जैसी पारंपरिक पद्धतियों के सम्मेलन से उपचार प्रबंधन बेहतर हुआ है। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी मनोरोगी के उपचार की व्यक्ति परक उपचार प्रणाली के विकास के पथ के प्रदर्शन का मंच बनें।
इंडियन सायक्याट्रिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार ने कहा कि डिजिटल क्रांति ने जीवन के सभी क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन किए हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल टेक्नोलॉजी विकास के सहचर हो सकते है, मार्गदर्शक कभी नहीं बन सकते। जरूरी यह है कि तकनीक का पूर्ण चेतना के साथ उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि सोसाइटी द्वारा संस्था गठन के 75वें वर्ष में युवा शक्तियों को उद्बोधित करने के लिए पहल की गई है। संगोष्ठी युवा चिकित्सकों को शिक्षित और दीक्षित करेगी।
आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. आर.एन साहू ने बताया कि संगोष्ठी में मनोचिकित्सा के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक की संभावनाओं, सीमाओं और चुनौतियों पर चिंतन किया जाएगा। आत्महत्या, नशाखोरी जैसी समस्याओं के समाधान के प्रयासों पर शिक्षकों, अनुभवी चिकित्सकों और युवा चिकित्सकों का संवाद मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती में नए उत्साह और ऊर्जा का संचार करेगा।
आयोजन समिति सचिव डॉ. समीक्षा साहू ने धन्यवाद ज्ञापन में बताया कि संगोष्ठी से अनुभवी चिकित्सकों और युवा चिकित्सकों को संवाद का मंच प्रदान करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने संगठन के प्रतिनिधि के रूप में माह में एक बार गरीब और वंचित वर्ग को नि:शुल्क चिकित्सकीय सेवाएँ प्रदान करने का आश्वासन दिया। प्रारंभ में अतिथियों का पुष्प-गुच्छ से स्वागत कर स्मृति-चिन्ह भेंट किये गये।