गरियाबंद जिला अस्पताल की बड़ी लापरवाही: महिला गार्ड ने मरीज को लगाया इंजेक्शन, हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

अस्पताल में गार्ड ने लगाया इंजेक्शन: स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल!
चौंकाने वाला वाकया: जब गार्ड ने संभाली मरीजों की देखभाल की ज़िम्मेदारी-गरियाबंद जिला अस्पताल से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने सबको हिलाकर रख दिया है। सोचिए, जहां मरीजों को ठीक करने के लिए डॉक्टर और नर्स होते हैं, वहां एक महिला गार्ड को इंजेक्शन लगाते हुए देखा गया। यह नज़ारा जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो मानो भूचाल आ गया। बात तब और बिगड़ गई जब पता चला कि उस समय अस्पताल में कोई भी स्वास्थ्यकर्मी मौजूद नहीं था। ऐसे में, मरीज को दवा देने का ज़िम्मा उस गार्ड को उठाना पड़ा। अस्पताल में मौजूद एक पूर्व पार्षद ने इस पूरे वाकये का वीडियो बना लिया और उसे शेयर कर दिया। इस एक तस्वीर ने सरकारी अस्पतालों में चल रही स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी और उनकी लचर हालत को सबके सामने ला दिया।
हाईकोर्ट का सख्त रुख: जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं-इस गंभीर मामले को स्वत: संज्ञान में लेते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की बेंच ने इस घटना को मरीजों की जान के साथ सीधा खिलवाड़ बताया है। अदालत ने राज्य सरकार से तीखे सवाल पूछे और गरियाबंद के कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब देने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर इस लापरवाही की वजह से मरीज की जान चली जाती, तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी किसकी होती। इस मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त को तय की गई है, जिसमें सरकार को अपना पक्ष रखना होगा।
प्रशासन पर सवाल: कब सुधरेगी व्यवस्था?-अदालत में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि इस घटना के संबंध में सीएमएचओ और सिविल सर्जन को नोटिस जारी कर दिया गया है। लेकिन, कोर्ट ने इस पर संतोष व्यक्त नहीं किया। जजों ने जिला कलेक्टर से यह भी पूछा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए क्या ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। कोर्ट का मानना है कि यह सिर्फ एक लापरवाही नहीं, बल्कि डॉक्टरी पेशे की मर्यादा का उल्लंघन भी है। इससे सरकारी अस्पतालों पर लोगों का भरोसा भी कम होता है। इसलिए, यह बहुत ज़रूरी है कि दोषियों पर कार्रवाई हो और व्यवस्था में सुधार के लिए पुख्ता कदम उठाए जाएं।



