बांग्लादेश में बढ़ता खतरा: 20 लोगों को मिली सशस्त्र सुरक्षा, बड़े संपादक भी सुरक्षा घेरे में

बांग्लादेश में बढ़ते खतरे के बीच सरकार ने लिया बड़ा सुरक्षा फैसला- बांग्लादेश में हाल के दिनों में सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। सरकार ने अब किसी भी तरह के जोखिम से बचने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एमडी जहांगीर आलम चौधरी ने बताया कि जिन लोगों पर गंभीर खतरा है, उन्हें सशस्त्र सुरक्षा दी जा रही है। इस सुरक्षा कवच के तहत अब तक 20 लोगों को आर्म्ड गार्ड मुहैया कराए गए हैं, जिनमें नेता, वरिष्ठ अधिकारी और मीडिया से जुड़े महत्वपूर्ण लोग शामिल हैं।
प्रमुख अखबारों के संपादकों को मिली खास सुरक्षा-हाल के दिनों में कई कार्यालयों में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इसी वजह से देश के दो बड़े अखबारों ‘प्रोथम आलो’ के संपादक मतिउर रहमान और ‘द डेली स्टार’ के संपादक महफूज अनाम को विशेष सशस्त्र सुरक्षा दी जा रही है। सरकार का मानना है कि स्वतंत्र पत्रकारिता से जुड़े लोगों की सुरक्षा बेहद जरूरी है ताकि वे बिना डर के अपना काम कर सकें।
सचिवालय में कानून-व्यवस्था पर हुई अहम बैठक-लेफ्टिनेंट जनरल जहांगीर आलम चौधरी ने यह जानकारी 22 दिसंबर को सचिवालय में हुई सलाहकार परिषद समिति की बैठक के बाद दी। इस बैठक में देश की मौजूदा कानून-व्यवस्था पर विस्तार से चर्चा हुई। साथ ही, जगन्नाथ विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSCSU) चुनाव से जुड़े मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया ताकि किसी भी तरह की अशांति या हिंसा को रोका जा सके।
50 लोगों को खतरे के दावे पर सरकार ने दी सफाई-गणो अधिकार परिषद ने दावा किया था कि लगभग 50 लोगों पर हमले का खतरा है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गृह सलाहकार ने कहा कि सरकार ने केवल खुफिया एजेंसियों की पुख्ता रिपोर्ट के आधार पर ही सुरक्षा कदम उठाए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुरक्षा केवल उन्हीं लोगों को दी जा रही है, जिनके खिलाफ ठोस और विश्वसनीय खतरे सामने आए हैं, न कि हर किसी को।
‘हिट लिस्ट’ में शामिल लोगों को मिली सुरक्षा-जहांगीर आलम चौधरी ने बताया कि जिन लोगों को ‘हिट लिस्ट’ में रखा गया है या जिन्हें बेहद संवेदनशील माना गया है, उन्हें ही बंदूकधारी सुरक्षा दी जा रही है। यह सूची DGFI, NSI और स्पेशल ब्रांच जैसी खुफिया एजेंसियों ने मिलकर तैयार की है। सरकार का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया सुरक्षा एजेंसियों की सलाह पर की गई है ताकि खतरे को पूरी तरह से टाला जा सके।
कुछ लोगों ने सरकारी सुरक्षा लेने से किया इनकार-दिलचस्प बात यह है कि जिन लोगों को सुरक्षा की पेशकश की गई, उनमें से सभी ने इसे स्वीकार नहीं किया। सलाहकार के मुताबिक, कुछ ने निजी कारणों से सशस्त्र सुरक्षा लेने से मना कर दिया। फिलहाल करीब 20 लोग ऐसे हैं, जिन्होंने सरकारी सुरक्षा को मंजूरी दी है और उन्हें गार्ड उपलब्ध करा दिए गए हैं।
क्या सभी सुरक्षित लोग राजनेता हैं?-जब पूछा गया कि क्या सुरक्षा पाने वाले सभी लोग राजनेता हैं, तो जहांगीर आलम चौधरी ने इस पर ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां संवेदनशील होती हैं और उन्हें सार्वजनिक करना ठीक नहीं है। इसलिए इस बारे में विस्तृत विवरण साझा नहीं किया जा सकता।
हत्या और हमलों के बाद सरकार अलर्ट मोड में- हाल ही में नेता उस्मान हादी की हत्या और NCP नेता मोहम्मद मोतलेब शिकदर पर हुए हमले ने सरकार की चिंता और बढ़ा दी है। इन घटनाओं के बाद साफ हो गया है कि सरकार बढ़ते सुरक्षा खतरों को गंभीरता से ले रही है। चाहे नेता हों या मीडिया के बड़े चेहरे, जिन पर खतरा है, उनके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं ताकि देश में कानून-व्यवस्था बनी रहे और किसी भी तरह की हिंसा को रोका जा सके।



