क्या NDA के लिए बोझ बनते जा रहे हैं जीतन राम मांझी? लगातार बयानों से बढ़ी BJP की मुश्किल

NDA की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं जीतन राम मांझी के विवादित बयान-केंद्रीय MSME मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतन राम मांझी इन दिनों अपने बयानों की वजह से NDA के लिए राजनीतिक संकट खड़ा कर रहे हैं। गया से HAM के इकलौते सांसद मांझी ने हाल के दिनों में ऐसे बयान दिए हैं, जिनसे न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी सफाई देनी पड़ी। इस लेख में हम मांझी के विवादित बयानों और उनके राजनीतिक असर पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
चुनाव ‘मदद’ वाले बयान से मचा राजनीतिक तूफान-मांझी ने बिहार के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने एक नेता को जिताने के लिए तत्कालीन गया डीएम अभिषेक सिंह की ‘मदद’ ली थी। उन्होंने यह भी कहा कि 2025 के चुनाव में जो भी हारता है, वह उनके पास आता तो वे फिर डीएम से मदद करवाते। इस बयान ने विपक्ष को चुनावी धांधली के आरोप लगाने का मौका दिया और NDA पर बड़ा राजनीतिक दबाव बना।
पलटवार किया, लेकिन नुकसान हो चुका था-विपक्ष के आरोपों के बढ़ने पर मांझी ने बयान पलटते हुए कहा कि वे वोटों की गिनती दोबारा कराने की बात कर रहे थे। हालांकि तब तक बयान का असर हो चुका था और NDA को राजनीतिक नुकसान झेलना पड़ा। मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि मांझी ने एक और विवादित बयान देकर स्थिति और बिगाड़ दी।
विकास फंड और कमीशन पर दिया विवादित बयान-मांझी ने कहा कि सांसद और विधायक विकास फंड में से कमीशन लेते हैं। उन्होंने अपने बेटे और बिहार सरकार के मंत्री संतोष सुमन को सलाह दी कि अगर वे कमीशन नहीं ले रहे हैं तो लेना शुरू कर दें, चाहे सौ रुपये में से 40 पैसे ही क्यों न हों। मांझी ने यह भी बताया कि उन्होंने खुद विकास फंड से 40 लाख रुपये पार्टी को दिए हैं। इस बयान ने BJP नेतृत्व के लिए सिरदर्द बढ़ा दिया।
मीडिया पर आरोप लगाकर बदला सुर-जब मांझी के बयान BJP के लिए परेशानी बन गए, तो उन्होंने मीडिया पर अपने बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वे केवल यह समझा रहे थे कि विकास फंड में सभी अपना हिस्सा देखते हैं। लेकिन तब तक उनके विवादित बयान राजनीतिक गलियारों में गूंज चुके थे और नुकसान तय माना जा रहा था।
राज्यसभा सीट को लेकर NDA को दी खुली चेतावनी-इन विवादों के बीच मांझी ने तीसरा बड़ा बयान देकर हलचल और बढ़ा दी। उन्होंने साफ कहा कि अगर HAM को वादा किया गया राज्यसभा सीट नहीं मिली तो उनकी पार्टी NDA से बाहर निकल सकती है। उन्होंने याद दिलाया कि 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान दो लोकसभा सीट और एक राज्यसभा सीट का वादा किया गया था, लेकिन उन्हें सिर्फ एक लोकसभा सीट मिली।
NDA के लिए क्यों है मांझी की मांग चुनौती?-मांझी जानते हैं कि अप्रैल 2026 में बिहार की पांच राज्यसभा सीटें खाली होंगी, जिन पर NDA के अंदर पहले से सहमति का गणित तय है। इनमें से दो सीटें JD(U), दो BJP और एक LJP(R) के खाते में जा सकती हैं। ऐसे में मांझी की मांग NDA के लिए नई राजनीतिक चुनौती बनती जा रही है, जो गठबंधन के समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।



