National

उत्तराखंड में तबाही: चमोली में भूस्खलन और बाढ़ से 14 लोग लापता, 30 से ज्यादा घर जमींदोज़

43 / 100 SEO Score

चमोली में प्रलय: भारी बारिश ने ली चार गांवों की जान, मलबे में दबे आशियाने!-उत्तराखंड के चमोली जिले में कुदरत का कहर बरपा है। गुरुवार को हुई मूसलाधार बारिश ने नंदानगर क्षेत्र के कुंतारी लगाफली, कुंतारी लगासरपानी, सेरा और धुरमा जैसे गांवों में तबाही का ऐसा मंजर दिखाया कि लोग सहम गए। अचानक हुए भूस्खलन और बाढ़ जैसी स्थिति ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। इस आपदा में 30 से ज़्यादा घर और कई दुकानें मलबे के ढेर में तब्दील हो गईं। अभी तक की शुरुआती खबरों के मुताबिक, 14 लोग लापता हैं और लगभग 20 लोग घायल हुए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद इस पूरी स्थिति की समीक्षा की है और बताया है कि 200 से ज़्यादा लोग इस विपदा से प्रभावित हुए हैं। राहत और बचाव का काम तेज़ी से चल रहा है, लेकिन हालात अभी भी गंभीर बने हुए हैं। यह प्राकृतिक आपदा लोगों के जीवन पर एक गहरा सदमा बनकर आई है।

राहत-बचाव कार्य जोरों पर, घायलों को पहुंचाया जा रहा अस्पताल!-मुख्यमंत्री धामी ने तुरंत ही NDRF और SDRF की टीमों को आपदा प्रभावित इलाकों में रवाना कर दिया है। कई लोग इस हादसे में घायल हुए हैं, जिनमें एक छोटा बच्चा भी शामिल है जिसे सिर पर गंभीर चोट आई है। जो लोग गंभीर रूप से घायल हैं, उन्हें एयरलिफ्ट करके एम्स ऋषिकेश भेजा जा रहा है ताकि उनका बेहतर इलाज हो सके। सरकार की तरफ से साफ हिदायत दी गई है कि राहत कार्यों में किसी भी तरह की कोई देरी नहीं होनी चाहिए। सबसे पहले सड़कों, पीने के पानी और बिजली जैसी ज़रूरी सुविधाओं को बहाल करने पर ज़ोर दिया जा रहा है। साथ ही, जो लोग बेघर हो गए हैं, उनके लिए खाने-पीने और रहने की सुरक्षित व्यवस्था की जा रही है। इन मुश्किल घड़ियों में हर संभव मदद पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

 नंदानगर की ज़मीन पहले से ही थी खिसक रही, बारिश ने बढ़ाई मुसीबत!-यह जानना ज़रूरी है कि नंदानगर इलाका पहले से ही ज़मीन धंसने की समस्या से जूझ रहा था। अगस्त के महीने में ही यहां कई घरों की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई थीं, जिसके बाद लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया गया था। इस बार हुई भारी बारिश ने तो हालात को और भी ज़्यादा बिगाड़ दिया। चमोली के जिलाधिकारी, संदीप तिवारी ने बताया कि कुंतारी लगाफली गांव से आठ लोग, जिनमें एक ही परिवार के चार सदस्य भी शामिल हैं, अभी भी लापता हैं। वहीं, धुरमा गांव से दो लोगों के लापता होने की खबर है। मोक्शा नदी में आई भयानक बाढ़ की वजह से दर्जनों इमारतें बह गईं और कई घर पूरी तरह से ढह गए। फिलहाल, सभी लापता लोगों की तलाश का अभियान जारी है और हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

मलबे और कीचड़ के कारण राहत कार्यों में आ रही हैं बड़ी चुनौतियां!-इस मुश्किल घड़ी में स्थानीय लोग भी राहत और बचाव के कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। कुंतारी लगाफली गांव के ही रहने वाले नंदन सिंह, जो भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के ज़िला उपाध्यक्ष भी हैं, बताते हैं कि राहत कार्यों में सबसे बड़ी रुकावट कीचड़ और दलदल बन रही है। पहाड़ों से बहकर आया मलबा और बड़े-बड़े पत्थर तीन जगहों पर रास्ता पूरी तरह से बंद कर चुके हैं, जिससे बचावकर्मियों को वहां तक पहुंचने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जब यह भूस्खलन हुआ, तब बहुत से लोग अपने घरों के अंदर ही थे। कुछ लोग जैसे-तैसे बाहर निकलने में कामयाब रहे, लेकिन उन्हें भी काफी गंभीर चोटें आई हैं। यह वाकई एक बहुत ही दुखद और चुनौतीपूर्ण स्थिति है।

 दो दिन पहले ही देहरादून में हुई तबाही, अब चमोली में फिर वही मंजर!-यह भूस्खलन और बाढ़ की घटना ऐसे समय पर हुई है जब सिर्फ दो दिन पहले ही देहरादून और उसके आसपास के इलाकों में बादल फटने और भारी बारिश ने ज़बरदस्त तबाही मचाई थी। उस आपदा में 21 लोगों की जान चली गई थी और 17 लोग लापता हो गए थे। कई सड़कों के टूटने, पुलों के बह जाने और सैकड़ों घरों के बर्बाद होने की खबरें आई थीं। लगातार हो रही इन घटनाओं ने उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य की नाजुक स्थिति को सबके सामने ला दिया है। यहां के पहाड़ी इलाकों में हर साल बरसात के मौसम में इस तरह की आपदाएं आती रहती हैं, जिनका सीधा और गहरा असर आम लोगों की ज़िंदगी पर पड़ता है। यह प्रकृति का रौद्र रूप हमें हमेशा सोचने पर मजबूर करता है।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button