S-400 बनाम S-500: क्या भारत की हवाई सुरक्षा में आ रहा है नया युग?

S-500 एयर डिफेंस सिस्टम: क्या है खास?- S-500 ‘प्रोमिथियस’ रूस का सबसे आधुनिक एयर और मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जो 2021 से तैनात हो रहा है। यह सिर्फ सामान्य मिसाइलों को ही नहीं, बल्कि हाइपरसोनिक मिसाइल, ICBM, स्टेल्थ फाइटर और लो-अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट्स तक को निशाना बना सकता है। इसकी रेंज और क्षमता राष्ट्रीय स्तर की है, जो इसे S-400 से कई गुना ज्यादा प्रभावी बनाती है। यह उन खतरों से भी सुरक्षा देता है, जिनसे निपटना पुराने सिस्टम के लिए मुश्किल होता है।
S-400 की सफलता ने बढ़ाई S-500 की मांग- भारत पहले से ही S-400 सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है, जिसने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में अपनी ताकत दिखाई। पंजाब के आदमपुर एयरबेस पर इसने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को 95% तक रोक दिया था। इस कामयाबी ने भारत में S-500 के लिए उत्सुकता बढ़ाई है। खासकर हाइपरसोनिक हथियारों और लंबी दूरी के खतरों से निपटने में S-500 की तकनीक S-400 से कहीं आगे है, जो भारत की सुरक्षा को और मजबूत बनाएगी।
S-500 क्यों है S-400 से बेहतर?- तकनीकी तौर पर S-500 की रेंज 600 किलोमीटर है, जबकि S-400 की 400 किलोमीटर। ऊंचाई में भी S-500 200 किलोमीटर तक के लक्ष्य को ट्रैक कर सकता है, जो S-400 की 30 किलोमीटर सीमा से काफी ज्यादा है। यह 25,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हाइपरसोनिक मिसाइलों को भी पकड़ सकता है। साथ ही, इसका रिस्पॉन्स टाइम 4 सेकंड है, जो S-400 से लगभग ढाई गुना तेज है, इसे बेहद सटीक और उन्नत बनाता है।
क्या भारत में बनेगा S-500? संभावनाएं और फायदे- भारत और रूस के बीच S-500 के संयुक्त निर्माण की संभावना मजबूत हो रही है। रूस की अल्माज-एंटे कंपनी भारत की BEL और BDL के साथ मिलकर काम करना चाहती है। यह प्रोजेक्ट ब्रह्मोस की तरह संयुक्त उद्यम बन सकता है, जहां रडार और मिसाइलें भारत में ही बनेंगी। इसमें 60% तक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हो सकता है, जिससे भारत हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनेगा। यह परियोजना हजारों उच्च कौशल वाले रोजगार भी पैदा करेगी और रक्षा निर्यात के नए रास्ते खोलेगी।



