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TCS Layoff Reality: महाराष्ट्र सरकार ने खोला सच, पुणे में कितनी नौकरियां गईं?

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टीसीएस में छंटनी का सच: महाराष्ट्र सरकार ने दिया बड़ा खुलासा- आईटी सेक्टर में छंटनियों की खबरें लगातार आ रही हैं, खासकर जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन का दौर तेजी से बढ़ रहा है। इसी बीच महाराष्ट्र सरकार ने विधान परिषद में टीसीएस (Tata Consultancy Services) की पुणे शाखा में हुई छंटनियों को लेकर एक अहम बयान दिया है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि टीसीएस ने कितने कर्मचारियों को निकाला, इसके पीछे क्या वजहें हैं, और सरकार ने इस मामले में क्या कहा है।

टीसीएस ने कितने कर्मचारियों को निकाला? सरकार का आधिकारिक आंकड़ा- महाराष्ट्र सरकार ने विधान परिषद में साफ किया कि टीसीएस ने इस वित्तीय वर्ष की दो तिमाहियों में पुणे कैंपस से कुल 376 कर्मचारियों को नौकरी से हटाया है। यह जानकारी मजदूर मंत्री आकाश फुंडकर ने सदन में दी। उन्होंने बताया कि ये आंकड़े कंपनी ने खुद सरकार को उपलब्ध कराए हैं, क्योंकि मीडिया में बड़े पैमाने पर छंटनी की खबरें चल रही थीं। इस खुलासे से पता चलता है कि छंटनी की संख्या मीडिया रिपोर्ट्स जितनी बड़ी नहीं है, लेकिन यह फिर भी चिंता का विषय है।

IT सेक्टर में AI के बढ़ते प्रभाव से बढ़ती चिंता- कई विधान परिषद सदस्यों जैसे उमा खापरे, प्रवीण डेरेकर और प्रसाद लाड ने सवाल उठाए कि AI और ऑटोमेशन के बढ़ते इस्तेमाल से आईटी सेक्टर में कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में हैं। उनका दावा था कि टीसीएस ने पुणे, पिंपरी चिंचवड़, मुंबई, नागपुर और छत्रपति संभाजीनगर में करीब 30,000 कर्मचारियों को निकाला है। सदन में इस पर सरकार से स्पष्टता मांगी गई कि असल स्थिति क्या है और यह मुद्दा कितना गंभीर है।

टीसीएस के पुणे कैंपस में कुल कितने कर्मचारी हैं?- सरकार ने बताया कि टीसीएस के पुणे स्थित सभी कैंपस में कुल 45,575 कर्मचारी काम कर रहे हैं। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि मीडिया में जो बड़े पैमाने पर छंटनी की खबरें आई थीं, वे वास्तविकता से मेल नहीं खातीं। हालांकि, 376 कर्मचारियों की छंटनी भी कम नहीं है, खासकर जब यह लगातार दो तिमाहियों में हुई है। इससे यह साफ होता है कि कंपनी में बदलाव तो हो रहे हैं, लेकिन वह उतने बड़े पैमाने पर नहीं जितना बताया जा रहा था।

छंटनी का असली कारण क्या? कंपनी का पक्ष- सरकार ने विधान परिषद में यह भी बताया कि टीसीएस मैनेजमेंट ने स्पष्ट किया है कि जिन 376 कर्मचारियों को निकाला गया, वे ज्यादातर मिड-लेवल और सीनियर मैनेजरियल पदों पर थे। कंपनी ने यह भी कहा कि ये छंटनियां AI या ऑटोमेशन के कारण नहीं हुई हैं। सभी कर्मचारियों को नोटिस देकर, बातचीत के बाद और नियमानुसार वेतन के साथ नौकरी से हटाया गया। इस स्पष्टीकरण से यह स्पष्ट हो गया कि छंटनी को तकनीकी बदलाव से जोड़ना सही नहीं होगा। आईटी सेक्टर में छंटनियों को लेकर मीडिया में जो चर्चा है, उसमें काफी हद तक अतिशयोक्ति भी है। महाराष्ट्र सरकार के आधिकारिक आंकड़ों और टीसीएस के बयान से पता चलता है कि छंटनी की संख्या अपेक्षित से कम है और इसका कारण तकनीकी बदलाव नहीं बल्कि प्रबंधन स्तर के पदों में बदलाव है। फिर भी, लगातार दो तिमाहियों में छंटनी होना चिंता का विषय है, जो इस क्षेत्र में कर्मचारियों की सुरक्षा और भविष्य को लेकर सवाल खड़े करता है। इस स्थिति पर नजर रखना और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना जरूरी होगा।

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