अमेरिकी नीतियों का असर? भारतीय शेयर बाजार से फरवरी में एफपीआई ने निकाले 21,272 करोड़

विदेशी निवेशकों की भारतीय शेयर बाजार से लगातार निकासी, फरवरी के पहले दो हफ्तों में 21,272 करोड़ की निकासी
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का भारतीय शेयर बाजार से पलायन जारी है। फरवरी के पहले दो हफ्तों में ही उन्होंने 21,272 करोड़ रुपये की निकासी कर ली है। इसका मुख्य कारण अमेरिका द्वारा आयात पर नए शुल्क लगाने के बाद उत्पन्न वैश्विक आर्थिक तनाव माना जा रहा है।
लगातार दूसरे महीने भारी निकासी
जनवरी में भी एफपीआई ने 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे। इस साल अब तक कुल निकासी करीब 99,299 करोड़ रुपये (लगभग 1 लाख करोड़ रुपये) पहुंच चुकी है, जो निवेशकों के बढ़ते असमंजस को दिखाता है।
डॉलर इंडेक्स में गिरावट से बदल सकती है स्थिति
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार का मानना है कि जब डॉलर इंडेक्स कमजोर होगा, तब एफपीआई की रणनीति में बदलाव आ सकता है और वे दोबारा भारतीय बाजार में निवेश कर सकते हैं।
अमेरिकी नीतियों से बढ़ा अनिश्चितता का माहौल
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर शुल्क लगाने और अन्य देशों पर प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगाने की घोषणा से वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है। इससे एफपीआई निवेशकों ने उभरते बाजारों, खासकर भारत, में अपने निवेश पर दोबारा विचार करना शुरू कर दिया है।
वाटरफील्ड एडवाइजर्स के सीनियर डायरेक्टर विपुल भौर ने भी कहा कि अमेरिका की नई नीतियों से वैश्विक निवेशकों में असमंजस की स्थिति बन गई है, जिससे उनके निवेश के फैसलों में बदलाव देखने को मिल रहा है।
घटते कॉरपोरेट मुनाफे और रुपये की कमजोरी बनी चिंता
घरेलू स्तर पर भी निवेशकों की चिंता बढ़ी है। कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे और भारतीय रुपये का लगातार गिरना, जो कई सालों के निचले स्तर पर पहुंच चुका है, भारतीय बाजार को विदेशी निवेशकों के लिए कम आकर्षक बना रहा है।
बॉन्ड मार्केट में एफपीआई की दिलचस्पी बरकरार
हालांकि, शेयर बाजार से पैसे निकालने के बावजूद एफपीआई ने बॉन्ड मार्केट में निवेश किया है। उन्होंने जनरल डेट लिमिट में 1,296 करोड़ रुपये और वॉलंटरी रिटेंशन रूट (VRR) में 206 करोड़ रुपये डाले हैं।
2023 की तुलना में 2024 में सुस्त निवेश
इस साल एफपीआई की भारतीय शेयर बाजार में शुद्ध निवेश सिर्फ 427 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल के मुकाबले बहुत कम है। 2023 में भारत की मजबूत आर्थिक बुनियादों के चलते एफपीआई ने 1.71 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था, जबकि 2022 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों की ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण 1.21 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी देखने को मिली थी।
क्या आगे भी जारी रहेगा यह रुझान?
एफपीआई का रुख काफी हद तक अमेरिकी नीतियों, डॉलर इंडेक्स की चाल और भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर निर्भर करेगा। फिलहाल, बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है और निवेशकों की नजर आगे की रणनीतियों पर टिकी है।