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‘द सीक्रेट ऑफ देवकाली’ – रहस्य, परंपरा और शक्ति की उलझी कहानी

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फिल्म समीक्षा: द सीक्रेट ऑफ देवकाली
कलाकार: नीरज चौहान, महेश मांजरेकर, संजय मिश्रा, ज़रीना वहाब, प्रशांत नारायणन
निर्देशक: नीरज चौहान
रेटिंग: 3 स्टार

मूवी रिव्यू द सीक्रेट ऑफ देवकाली: ‘द सीक्रेट ऑफ देवकाली’ एक ऐसी फिल्म है जो गांव और जंगल की पृष्ठभूमि में घूमती हुई हमें प्रकृति के अनकहे रहस्यों, परंपराओं, भरोसे और ताकत के लालच में डूबी राजनीति की जटिल कहानी सुनाती है। नीरज चौहान ने इस कहानी को बड़ी सादगी से लेकिन असरदार तरीके से परदे पर उतारा है। फिल्म में महेश मांजरेकर, संजय मिश्रा, ज़रीना वहाब और प्रशांत नारायणन जैसे सीनियर कलाकारों की मौजूदगी तो है ही, साथ ही नीरज चौहान, अनुष्का चौहान और भूमिका गुरुंग जैसे नए चेहरे भी जान डालते हैं। फिल्म 18 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई है और वादा करती है कि आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाएगी। देवकाली नाम का गांव अपनी खूबसूरत वादियों और पुरानी मान्यताओं के लिए मशहूर है। यहां दो समुदाय रहते हैं- क्रिंग और परियार। सब कुछ ठीक चल रहा होता है, लेकिन गांव के ताकतवर मुखिया दिनकर आचार्य का बेटा हेमंत आचार्य (महेश मांजरेकर) अपने फायदे के लिए परियार समुदाय को आपस में बांट देता है। एक तरफ के लोग जो अहिंसा और देवी काली में आस्था रखते हैं, गांव में ही रह जाते हैं। जबकि दूसरे पर जंगली जानवरों के शिकार का आरोप लगता है और उन्हें गांव से निकाल दिया जाता है। फिर हेमंत उन्हीं निकाले गए हिंसक लोगों के साथ मिलकर गांव में बचे शांतिप्रिय लोगों पर जुल्म करने लगता है। ऐसे हालात में, उन लोगों को सिर्फ देवी काली की कृपा ही बचा सकती है और उन्हें ये भी बार-बार महसूस होता है कि कोई शक्ति सच में उनकी रक्षा कर रही है।

इसी दौरान माधव (नीरज चौहान), जो एक आम सा ग्रामीण है, इस पूरे रहस्य को समझने और सच्चाई सामने लाने की कोशिश करता है। अब सवाल ये है कि क्या माधव गांव को हेमंत और उसके साथियों से बचा पाएगा? इसका जवाब जानने के लिए आपको ‘द सीक्रेट ऑफ देवकाली’ की रहस्यमय कहानी में उतरना होगा। नीरज चौहान ने माधव के किरदार को बड़े सधे हुए और गहराई से निभाया है। उनके हाव-भाव और डायलॉग डिलीवरी में ईमानदारी झलकती है। भूमिका गुरुंग ने मुद्रा का रोल बहुत सहजता से किया है, उनका आत्मविश्वास और एनर्जी इस रोल को और मजबूत बना देते हैं। संजय मिश्रा, महेश मांजरेकर और ज़रीना वहाब जैसे मंझे हुए कलाकारों की मौजूदगी फिल्म को और दमदार बना देती है। महेश मांजरेकर का निगेटिव किरदार खासतौर पर ध्यान खींचता है। वहीं, प्रशांत नारायणन पुलिस अफसर के रोल में अपनी खास स्टाइल में छा जाते हैं और कहानी में एक ज़रूरी मोड़ लाते हैं। कुल मिलाकर, हर कलाकार ने अपने रोल के साथ पूरा इंसाफ किया है।

नेहा सोनी की लिखी कहानी में रहस्य भी है और एक गहरा सामाजिक संदेश भी। नीरज चौहान ने इस कहानी को परदे पर जिस तरीके से पेश किया है, वो दर्शकों को आखिर तक बांध कर रखता है। फिल्म में गांव का माहौल और लोक संस्कृति को जिस तरह से दिखाया गया है, वो इसे और असली बनाता है। लेखक और निर्देशक ने मिलकर एक ऐसी फिल्म बनाई है जो सिर्फ एंटरटेन नहीं करती, बल्कि सोचने पर भी मजबूर करती है। ‘द सीक्रेट ऑफ देवकाली’ हमें ये एहसास दिलाती है कि प्रकृति की ताकत को हल्के में नहीं लेना चाहिए और उसके साथ संतुलन बनाए रखना कितना ज़रूरी है। यह फिल्म आस्था और अंधविश्वास के बीच के पतले से फर्क को भी दिखाती है। फिल्म का एक और बड़ा संदेश ये है कि जब भी ताकत का गलत इस्तेमाल और प्रकृति का दोहन होता है, उसका अंजाम बुरा ही होता है। सनातन संस्कृति में प्रकृति को पूजने की जो परंपरा है, उसे भी यह फिल्म खूबसूरती से सामने लाती है। यह फिल्म आज की उस सोच को भी आईना दिखाती है जो प्रकृति को बस एक संसाधन समझती है। ‘द सीक्रेट ऑफ देवकाली’ ना सिर्फ एक दिलचस्प फिल्म है, बल्कि सोचने वाली भी, जिसे एक बार जरूर देखा जाना चाहिए।

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