छत्तीसगढ़ में बाल विवाह की स्थिति: बेहतर है लेकिन 11 जिले अभी भी चिंता का विषय

बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत से कम, पर 11 जिले चिंताजनक- छत्तीसगढ़ में बाल विवाह की दर 12 प्रतिशत है, जो देश के औसत 23.3 प्रतिशत से काफी कम है। यह स्थिति राज्य के लिए अच्छी खबर है, लेकिन 11 जिले ऐसे हैं जहां बाल विवाह की दर काफी ज्यादा है। सूरजपुर में यह दर 34.3 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। बलरामपुर, कोरिया, जशपुर और मुंगेली जैसे जिलों में भी बाल विवाह के मामले 20 से 30 प्रतिशत के बीच हैं। इन जिलों और संवेदनशील गांवों को बाल विवाह मुक्त बनाने की तैयारी चल रही है।
तीन चरणों में चलेगा बाल विवाह रोकने का अभियान- सरकार ने बाल विवाह रोकने के लिए तीन चरणों में अभियान चलाने का फैसला किया है। पहले चरण में स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों और अभिभावकों को जागरूक किया जाएगा। दूसरे चरण में धार्मिक स्थलों और विवाह से जुड़ी सेवाओं जैसे बैंक्वेट हॉल, बैंड-बाजा वालों को जिम्मेदारी समझाई जाएगी। तीसरे चरण में गांव, पंचायत और शहरी वार्ड स्तर पर समुदाय की भूमिका मजबूत कर बाल विवाह रोकने के प्रयासों को स्थायी बनाया जाएगा।
एक साल में 3935 बाल विवाह रोके गए, 2030 तक 1 लाख गांव होंगे मुक्त- जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (JRC) ने 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत अगले एक साल में एक लाख गांवों को बाल विवाह मुक्त घोषित करने की योजना है। पिछले एक साल में छत्तीसगढ़ में 3935 बाल विवाह रोकने में सफलता मिली है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने भी 100 दिवसीय जागरूकता अभियान शुरू किया है, जो 8 मार्च 2026 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर समाप्त होगा। इससे बाल विवाह रोकने में मदद मिलेगी।



