नीति आयोग द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम में महिलाओं ने विकसित भारत-विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना पर विचार रखते हुए कहा कि राज्य में महिलाओं को सशक्त करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण पर विशेष रणनीति बनानी होगी। महिलाओं को सहकारिता के माध्यम से जोड़कर आर्थिक गतिविधियों के लिए तैयार करना होगा।
कार्यक्रम में महिलाओं ने इस बात पर जोर दिया कि लैंगिक भेदभाव, नशाखोरी, बाल विवाह सहित सभी सामाजिक बुराईयों के प्रति जनजागरण अभियान भी चलाने की आवश्यकता है। महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने, उनके कौशल विकास, नये स्टार्टअप शुरू करने के लिए नये कार्यक्रम शुरू करने की जरूरत है।
कार्यक्रम में शताब्दी पाण्डेय ने कहा कि सहकारिता से जुड़कर ही महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो सकती हैं। इसके लिए राज्यस्तरीय, अंतर्राज्यीय और देशव्यापी संस्थाओं और बहुस्तरीय सहकारी संस्थाओं को बढ़ावा देने की जरूरत है। श्रीमती शमशाद बेगम ने कहा कि सामाजिक बुराईयों को दूर करने के लिए ठोस पहल होनी चाहिए।
लखपति दीदी और ड्रोन दीदी के रूप में पहचान रखने वाली श्रीमती लामी बैगा, पुष्पा वस्त्रकार और चित्ररेखा साहू ने कहा कि उद्यमिता से जुड़े महिलाओं के लिये मार्केटिंग,पैकेजिंग और विक्रय की व्यवस्था करना जरूरी है।