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पनामा नहर पर ट्रंप का अल्टीमेटम: ‘अमेरिका कार्रवाई करेगा’, चीन के खिलाफ नया विवाद

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डोनाल्ड ट्रंप का पनामा नहर पर बयान: अमेरिका ने चीन पर लगाए गंभीर आरोप अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में पनामा नहर को लेकर चीन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ट्रंप का कहना है कि पनामा ने समझौते का उल्लंघन किया है और अब अमेरिका इस पर कदम उठा सकता है। उनके इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मच गई है। पनामा नहर, जो अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ता है, एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है। इस नहर का निर्माण अमेरिका ने 1914 में किया था, लेकिन 1999 में इसे पनामा को सौंप दिया गया था। अब ट्रंप का दावा है कि चीन ने इस पर नियंत्रण कर लिया है, जो अमेरिका के लिए खतरे की घंटी हो सकता है। ट्रंप की धमकी और अमेरिका की रणनीति ट्रंप ने कहा, “चीन पनामा नहर चला रहा है। यह चीन को नहीं दिया गया था, लेकिन उसने समझौते का उल्लंघन किया है। हम इसे वापस लेने जा रहे हैं, या फिर कुछ बहुत बड़ा होने वाला है।” ट्रंप का इशारा इस बात की ओर है कि अगर पनामा ने चीन से दूरी नहीं बनाई, तो अमेरिका खुद हस्तक्षेप कर सकता है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो को चेतावनी दी है कि अगर चीन का प्रभाव खत्म नहीं किया गया, तो वाशिंगटन कड़ा कदम उठाएगा।

पनामा का जवाब और चीन से दूरीपनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने कहा कि वह अमेरिका से डरते नहीं हैं, लेकिन बातचीत के लिए तैयार हैं। साथ ही, उन्होंने चीन के साथ हुए बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव समझौते को रद्द करने का ऐलान किया। अब पनामा चीन की विदेशी विकास योजना का हिस्सा नहीं रहेगा। राष्ट्रपति मुलिनो ने यह भी कहा कि पनामा नहर पर उसकी संप्रभुता को कोई चुनौती नहीं दे सकता, और अमेरिका की चेतावनी के बावजूद पनामा खुद अपने हितों का निर्णय करेगा। क्या अमेरिका नहर पर कब्जा कर सकता है? 1977 में अमेरिका और पनामा के बीच तटस्थता संधि हुई थी, जिसके तहत पनामा को नहर की संप्रभुता दी गई थी। हालांकि, अमेरिका का कहना है कि अगर कोई देश इस संधि का उल्लंघन करता है, तो उसे दखल देने का अधिकार है। आगे क्या होगा? अगर पनामा पूरी तरह से चीन से रिश्ते नहीं तोड़ता, तो अमेरिका उस पर आर्थिक और कूटनीतिक दबाव बढ़ा सकता है। पनामा में चीन की कंपनियों के निवेश पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जिससे अमेरिका असंतुष्ट है। अगर पनामा और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता है, तो यह एक बड़ा भू-राजनीतिक संकट बन सकता है।

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