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विनय मोहन क्वात्रा की अमेरिका यात्रा: व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा और रिश्तों पर बड़ा फोकस

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अमेरिका में भारतीय राजदूत की अहम मुलाकातें: व्यापार और ऊर्जा पर खास चर्चा

भारत-अमेरिका संबंधों में नई दिशा-हाल ही में, भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने अमेरिका की राजधानी में कई महत्वपूर्ण सांसदों के साथ मुलाकात की। इन बैठकों का मुख्य एजेंडा दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूत बनाना और ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दों पर गहन चर्चा करना रहा। राजदूत क्वात्रा ने अमेरिकी सीनेटर बिल हैगर्टी से मिलकर भारत-अमेरिका साझेदारी के प्रति उनके निरंतर समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश एक निष्पक्ष और संतुलित व्यापारिक वातावरण बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं। खास तौर पर, ऊर्जा के क्षेत्र में, विशेष रूप से तेल और गैस के कारोबार में, दोनों देशों के बीच सहयोग को लेकर विचारों का आदान-प्रदान किया गया, जो भविष्य के लिए एक मजबूत आधार तैयार करता है।

व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा पर गहन बातचीत-अपनी मुलाकातों के दौरान, राजदूत क्वात्रा ने सीनेटर बिल हैगर्टी के समक्ष भारत के ऊर्जा सुरक्षा संबंधी दृष्टिकोण को विस्तार से प्रस्तुत किया। उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक संबंध दोनों देशों के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसी प्रकार, उन्होंने कांग्रेस सदस्य ग्रेग लैंड्समैन के साथ भी एक उपयोगी संवाद किया। इस बातचीत में भारत और अमेरिका के बीच हालिया व्यापारिक विकास और ऊर्जा सुरक्षा के पहलुओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। एक महत्वपूर्ण सहमति यह बनी कि दोनों देश ऊर्जा के क्षेत्र में अपने आपसी सहयोग को और अधिक बढ़ावा देंगे, जिससे दोनों को लाभ होगा।

अमेरिकी सांसदों से निरंतर संवाद का सिलसिला-भारतीय राजदूत ने अपने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी साझा करते हुए बताया कि कांग्रेस सदस्य ग्रेग लैंड्समैन के साथ हुई मुलाकात में उन्होंने भारत-अमेरिका व्यापार में हाल ही में हुए बदलावों पर विस्तार से चर्चा की। ऊर्जा क्षेत्र में हो रही प्रगति और दोनों देशों के बीच हाइड्रोकार्बन साझेदारी को और आगे ले जाने के महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी बातचीत हुई। इसके अतिरिक्त, राजदूत क्वात्रा ने सांसद जोश गॉथहाइमर से भी भेंट की। गॉथहाइमर अमेरिकी संसद की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी और साइबर सबकमेटी के एक प्रमुख सदस्य हैं। इस मुलाकात में भी मुख्य रूप से व्यापार, विशेषकर तेल और गैस के द्विपक्षीय लेन-देन पर ही ध्यान केंद्रित रहा, जो दोनों देशों के आर्थिक संबंधों का एक अहम हिस्सा है।

रूस से तेल आयात और अमेरिका की चिंताएं-भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के संदर्भ में, रूस से तेल का आयात एक प्रमुख चर्चा का विषय रहा है। अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों और बाजार की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए रूस से तेल खरीदना जारी रखा है। रूस ने भारत को रियायती दरों पर तेल उपलब्ध कराया, जिससे भारत को आर्थिक रूप से काफी मदद मिली। हालांकि, अमेरिका को इस पर कुछ आपत्तियां रही हैं और उन्होंने भारत पर कुछ अतिरिक्त टैरिफ लगाने पर भी विचार किया है, जिसमें से एक हिस्सा सीधे रूस से खरीदे जा रहे तेल पर लागू हो सकता है।

ऊर्जा सहयोग पर भारत का स्पष्ट रुख-भारत सरकार लगातार यह स्पष्ट करती आ रही है कि ऊर्जा की खरीद-बिक्री पूरी तरह से उसके राष्ट्रीय हितों और बाजार की मांग पर आधारित है। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद, पश्चिमी देशों ने रूस से दूरी बना ली थी, लेकिन भारत ने अपनी विशाल ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रूस से कच्चे तेल का आयात जारी रखा। भारत का यह रुख स्पष्ट है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा के मामले में किसी भी बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेगा। राजदूत क्वात्रा का संदेश भी यही रहा कि दोनों देशों को आपसी समझ और सहयोग के आधार पर आगे बढ़ना चाहिए, जो दोनों के लिए फायदेमंद हो।

लगातार हो रही मुलाकातें और भारत की रणनीति-राजदूत क्वात्रा ने अगस्त की शुरुआत से लेकर अब तक अमेरिका के करीब 16 सांसदों से मुलाकात की है। इन लगातार हो रही मुलाकातों से यह स्पष्ट होता है कि भारत-अमेरिका संबंधों में कुछ तनावपूर्ण स्थितियां होने के बावजूद, दोनों देशों के बीच संवाद और बातचीत का सिलसिला सक्रिय रूप से जारी है। भारत अपनी कूटनीतिक रणनीति के तहत यह समझाने का प्रयास कर रहा है कि उसकी ऊर्जा नीति पूरी तरह से देश की राष्ट्रीय जरूरतों पर आधारित है। वहीं, अमेरिका अपने राष्ट्रीय हितों और वैश्विक राजनीतिक समीकरणों के चलते कुछ हद तक भारत से असहमत भी है। इन मुलाकातों का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों में एक संतुलन बनाए रखना और भविष्य के लिए आपसी विश्वास को मजबूत करना है।

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