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जनगणना में देरी क्यों? सोनिया गांधी ने सरकार से किया सवाल

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सोनिया गांधी ने केंद्र से जल्द जनगणना कराने की मांग, 14 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा में जोड़ने पर जोर

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने सोमवार को केंद्र सरकार से जल्द से जल्द जनगणना कराने की अपील की, ताकि लगभग 14 करोड़ और लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA) के तहत अनाज मिल सके। राज्यसभा में अपने पहले संबोधन में, सोनिया गांधी ने शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि “खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि बुनियादी अधिकार है।” उन्होंने बताया कि वर्तमान में NFSA के लाभार्थियों की पहचान 2011 की जनगणना के आधार पर की जा रही है, क्योंकि 2021 की जनगणना अब तक नहीं हुई है। आधिकारिक अनुमानों के मुताबिक, इस देरी के कारण करोड़ों लोग इस योजना के दायरे से बाहर रह गए हैं।

जनगणना में देरी से 14 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा से वंचित

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 के तहत ग्रामीण आबादी के 75% और शहरी आबादी के 50% को सब्सिडी वाले अनाज का लाभ मिलना तय है। वर्तमान में सरकार प्रति व्यक्ति हर महीने 5 किलो मुफ्त अनाज उपलब्ध करा रही है। लेकिन 2011 की जनगणना के अनुसार यह लाभ 81.35 करोड़ लोगों तक सीमित है, जबकि देश की जनसंख्या अब काफी बढ़ चुकी है। सोनिया गांधी ने कहा, “स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार, दस वर्षीय जनगणना चार साल से अधिक समय से टल रही है। 2021 में प्रस्तावित जनगणना अभी तक नहीं हुई है, और बजट आवंटन से साफ है कि इस साल भी इसके होने की संभावना कम है।”

जनगणना में देरी क्यों है चिंताजनक?

उन्होंने कहा कि “लगभग 14 करोड़ योग्य भारतीय NFSA के तहत अपने कानूनी हक से वंचित हैं। सरकार को प्राथमिकता के आधार पर जनगणना पूरी कर सभी जरूरतमंदों को खाद्य सुरक्षा का लाभ देना चाहिए।”

NFSA का महत्व और कोविड के दौरान इसकी भूमिका

यूपीए सरकार के कार्यकाल में लागू किए गए NFSA, 2013 को याद करते हुए सोनिया गांधी ने इसे देश के 140 करोड़ लोगों के लिए एक “ऐतिहासिक पहल” बताया। उन्होंने कहा कि “यह कानून लाखों जरूरतमंद परिवारों को भूख से बचाने में मददगार साबित हुआ है, खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान। इसी कानून के आधार पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना चलाई गई, जिसे अब 1 जनवरी 2024 से पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया है।”

बजट में जनगणना के लिए कम राशि आवंटित

1 फरवरी को बजट पेश होने के बाद इस बात को लेकर चिंता जताई गई कि सरकार ने जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के लिए मात्र 574.80 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जबकि पूरी प्रक्रिया के लिए 12,000 करोड़ रुपये से अधिक की जरूरत होगी। सोनिया गांधी ने कहा, “सरकार को जल्द से जल्द जनगणना पूरी कर हर जरूरतमंद को NFSA के तहत उसका हक देना चाहिए।”

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