पीएम मोदी इस बार UNGA में नहीं देंगे भाषण, जानें अब भारत की ओर से कौन रखेगा पक्ष

मोदी नहीं, विदेश मंत्री जयशंकर रखेंगे भारत का पक्ष: UNGA में इस बार क्या है खास?
बदलाव की बयार: विदेश मंत्री एस. जयशंकर संभालेंगे भारत की बात-संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) का 80वां सत्र शुरू होने वाला है, जो हर साल की तरह इस बार भी दुनिया भर के नेताओं के लिए अपने विचार रखने का एक बड़ा मंच होगा। 23 से 29 सितंबर तक चलने वाली इस हाई-लेवल जनरल डिबेट में पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण देने की उम्मीद थी, लेकिन अब जारी की गई नई सूची के अनुसार, भारत की ओर से हमारे विदेश मंत्री, एस. जयशंकर, 27 सितंबर को अपना संबोधन देंगे। यह बदलाव अपने आप में काफी मायने रखता है। UNGA को अक्सर ‘सबसे व्यस्त कूटनीतिक सीजन’ कहा जाता है, क्योंकि इसी दौरान दुनिया के बड़े-बड़े नेता एक साथ आते हैं और अपनी-अपनी नीतियों, विचारों और भविष्य की योजनाओं को दुनिया के सामने रखते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की अनुपस्थिति में विदेश मंत्री जयशंकर का भाषण यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को लेकर कितना गंभीर और सक्रिय है। यह उनके कूटनीतिक कौशल और भारत की विदेश नीति को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता का भी एक महत्वपूर्ण अवसर होगा, जो दुनिया को भारत के बढ़ते प्रभाव और प्रतिबद्धताओं से अवगत कराएगा।
नज़रों में अमेरिका और बड़े देशों के नेता: क्या होगा भारत का रुख?-इस साल की जनरल डिबेट की शुरुआत हमेशा की तरह ब्राज़ील से होगी, जिसके बाद अमेरिका अपनी बात रखेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति, जो अपने दूसरे कार्यकाल में पहली बार इस मंच पर बोल रहे होंगे, उनके भाषण पर दुनिया की पैनी नज़र रहेगी। इसके अलावा, 26 सितंबर को इज़राइल, चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे महत्वपूर्ण देशों के प्रमुख नेता भी अपने विचार रखेंगे। ऐसे में, भारत की ओर से विदेश मंत्री जयशंकर का भाषण बेहद अहम हो जाता है। यह न केवल पड़ोसी देशों के साथ चल रही राजनीतिक और रणनीतिक उठापटक के बीच भारत की स्थिति को स्पष्ट करेगा, बल्कि पाकिस्तान और चीन जैसे देशों की मौजूदगी में भारत अपने हितों और पक्ष को दुनिया के सामने कैसे रखता है, यह देखना भी दिलचस्प होगा। यह भारत के लिए अपनी कूटनीतिक ताकत और वैश्विक सरोकारों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने का एक सुनहरा मौका है, जहाँ वे अपनी बात मजबूती से रख सकते हैं।
दुनिया झेल रही संकट, UNGA में समाधान की तलाश-यह सत्र ऐसे समय में आयोजित हो रहा है जब दुनिया कई गंभीर संकटों से जूझ रही है। इज़राइल-हमास युद्ध और यूक्रेन का संकट अभी भी पूरी तरह से थमा नहीं है, जिसने इस सत्र को और भी अधिक संवेदनशील बना दिया है। इस 80वें सत्र की थीम ‘बेहतर साथ: 80 साल और उससे आगे शांति, विकास और मानवाधिकारों के लिए’ रखी गई है। इस थीम के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है कि आज की दुनिया को एकजुट होकर आगे बढ़ने की जरूरत है और आपसी सहयोग ही स्थायी समाधान का रास्ता दिखा सकता है। यह सत्र 22 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ को समर्पित एक विशेष बैठक के साथ शुरू होगा। यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय शांति और सहयोग की नींव माना जाता है, और इस अवसर पर इसके महत्व को रेखांकित किया जाएगा।
महिला शक्ति, जलवायु परिवर्तन और भविष्य के मुद्दे: UNGA का एजेंडा-इस साल का UNGA सत्र कई महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित है। महिला सशक्तिकरण को लेकर एक विशेष बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें 1995 के बीजिंग महिला सम्मेलन की 30वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। इस बैठक में दुनिया भर में लैंगिक समानता को लेकर अब तक हुई प्रगति और भविष्य की चुनौतियों पर गहन चर्चा होगी। इसके अतिरिक्त, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस 24 सितंबर को एक महत्वपूर्ण क्लाइमेट समिट का आयोजन करेंगे। इसमें सदस्य देश अपनी नई जलवायु कार्य योजनाओं को प्रस्तुत करेंगे और स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने की दिशा में अपने प्रयासों को गति देंगे। इन प्रमुख विषयों के अलावा, स्वास्थ्य, युवा मामले, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रबंधन, परमाणु हथियारों का उन्मूलन और म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी विचार-विमर्श होगा। यह स्पष्ट है कि इस बार का UNGA केवल एक राजनीतिक मंच नहीं, बल्कि भविष्य की जटिल चुनौतियों पर गहराई से सोचने और समाधान खोजने का एक महत्वपूर्ण अवसर साबित होगा।



