पृथ्वीराज चव्हाण का विवादित बयान: माफी से इनकार, सवाल पूछना लोकतंत्र का हिस्सा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर दिए गए अपने बयान पर माफी मांगने से साफ इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने कोई गलत बात नहीं कही और संविधान उन्हें सवाल उठाने का पूरा अधिकार देता है। इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है और दोनों पक्षों के बीच बहस तेज हो गई है। आइए विस्तार से जानते हैं इस विवाद की पूरी कहानी।
माफी मांगने से किया इनकार, लोकतंत्र में सवाल उठाना जरूरी- पृथ्वीराज चव्हाण ने बुधवार को साफ कहा कि उन्होंने कोई गलत बयान नहीं दिया है और माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता। उनका मानना है कि लोकतंत्र में सवाल पूछना हर जनप्रतिनिधि का हक होता है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी मंशा किसी का अपमान करना नहीं था, बल्कि सरकार और सुरक्षा से जुड़े फैसलों पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए। चव्हाण के इस रुख ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस को जन्म दिया है।
पुणे में दिया था विवादित बयान, ऑपरेशन सिंदूर पर बड़ा दावा- मामला तब शुरू हुआ जब मंगलवार को पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान चव्हाण ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के पहले दिन ही भारत को हार का सामना करना पड़ा था। उनके मुताबिक, 7 तारीख को हुए करीब आधे घंटे के हवाई टकराव में भारतीय पक्ष को नुकसान हुआ और कुछ विमान भी गिराए गए। उन्होंने यह भी बताया कि वायुसेना की स्थिति इतनी नाजुक थी कि किसी भी एयरबेस से उड़ान भरना खतरनाक था।
“एक भी विमान नहीं उड़ा”, चव्हाण का सच्चाई पर जोर- अपने बयान में चव्हाण ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना की हालत बहुत संवेदनशील थी। उन्होंने बताया कि ग्वालियर, बठिंडा या सिरसा जैसे एयरबेस से कोई भी विमान उड़ाने की कोशिश करता तो उसे गिराए जाने का खतरा था। इसलिए वायुसेना को पूरी तरह से रोक दिया गया था। चव्हाण ने कहा कि चाहे लोग इस बात को मानें या न मानें, उस दिन भारत को बड़ा झटका लगा था। इस बयान के बाद सोशल मीडिया और राजनीतिक मंचों पर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं।
बीजेपी का कड़ा पलटवार, सेना के अपमान का आरोप- चव्हाण के बयान पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस की पहचान अब सेना का अपमान करना बन गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बयान सिर्फ चव्हाण का नहीं, बल्कि राहुल गांधी भी पहले इसी तरह की बातें कह चुके हैं। बीजेपी का कहना है कि ऐसे बयान देश की सेना का मनोबल गिराते हैं और राजनीतिक लाभ के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इस मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच टकराव और बढ़ने की संभावना है।
इस तरह से पृथ्वीराज चव्हाण का बयान और उसके बाद की प्रतिक्रियाएं राजनीतिक विवाद का नया केंद्र बन गई हैं। यह मामला न केवल राजनीतिक बहस को तेज कर रहा है, बल्कि देश की सुरक्षा और सेना के सम्मान पर भी सवाल खड़े कर रहा है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और चर्चा देखने को मिल सकती है।



