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छत्तीसगढ़ के अनिमेष कुजूर ने रचा नया इतिहास: गांव से ग्रीस तक 100 मीटर में रफ्तार का कमाल

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छोटे गांव से विश्व-स्तरीय धावक: अनिमेष कुजूर की प्रेरणादायक यात्रा-झारखंड के एक छोटे से गांव से निकलकर, अनिमेष कुजूर ने न केवल अपने लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए एक नया इतिहास रच दिया है। उनकी अद्भुत गति और अथक परिश्रम ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। आइए, उनकी संघर्षों, सपनों और उपलब्धियों से भरी इस प्रेरणादायक यात्रा पर एक नज़र डालते हैं।

 सेना का सपना, दौड़ का जुनून-अनिमेष शुरू में सेना में भर्ती होना चाहते थे। उन्होंने अंबिकापुर सैनिक स्कूल से बारहवीं की पढ़ाई पूरी की और 2020 में सेना की तैयारी में जुट गए थे। लेकिन कोरोना लॉकडाउन के दौरान एक मज़ेदार दौड़ ने उनकी ज़िन्दगी की दिशा ही बदल दी। एक 100 मीटर की दौड़ में जीत ने उन्हें रेसिंग की दुनिया में कदम रखने का हौसला दिया और धीरे-धीरे यह उनका जुनून बन गया। यह एक ऐसा मोड़ था जिसने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया।

रिलायंस फाउंडेशन और कोच मार्टिन ओवेंस का योगदान-ओडिशा के रिलायंस फाउंडेशन एथलेटिक्स हाई परफॉर्मेंस सेंटर में एक प्रतियोगिता के दौरान कोच मार्टिन ओवेंस की नज़र अनिमेष पर पड़ी। मार्टिन ने अनिमेष की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें प्रशिक्षण दिया। शुरुआती तकनीकी कमियों के बावजूद, अनिमेष की स्पीड और लगन ने कोच को प्रभावित किया। मार्टिन का मानना है कि अनिमेष में कड़ी मेहनत करने की अद्भुत क्षमता है, जो उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती है।

 नए रिकॉर्ड और चुनौतियाँ-इस साल जेनेवा में अनिमेष ने 200 मीटर की दौड़ 20.27 सेकंड में पूरी की, जो किसी भी भारतीय एथलीट का सबसे तेज समय था, हालाँकि तेज हवा के कारण यह आधिकारिक तौर पर मान्य नहीं हुआ। ग्रीस में हुए ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट मीट में उन्होंने 100 मीटर की दौड़ 10.18 सेकंड में पूरी कर नया भारतीय रिकॉर्ड बनाया। ये उपलब्धियां उनके कठिन परिश्रम और समर्पण को दर्शाती हैं।

माँ का प्यार और गर्व-शुरुआत में अनिमेष की माँ को उनकी रेसिंग पर चिंता थी, उन्हें लगता था कि इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी। लेकिन आज वही माँ अपने बेटे की उपलब्धियों पर गर्व करती हैं और हर दिन उनका हालचाल जानने के लिए फोन करती हैं। यह बदलाव अनिमेष की सफलता की कहानी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो दिखाता है कि माँ का प्यार और समर्थन कितना महत्वपूर्ण है।

 डायमंड लीग और भविष्य की आशाएँ-अनिमेष 11 जुलाई को मोनाको में होने वाली डायमंड लीग में भाग लेंगे। यह दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित एथलेटिक्स इवेंट्स में से एक है। कोच मार्टिन का मानना है कि यह मंच अनिमेष जैसे नए खिलाड़ियों के लिए एक सुनहरा अवसर है। अनिमेष खुद भी इस अवसर का पूरा फायदा उठाने और भारत के लिए और भी बड़े रिकॉर्ड बनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उनका भविष्य उज्जवल दिखाई देता है।

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