केरल की आशा कार्यकर्ताओं ने कहा – INTUC ने साथ नहीं निभाया, यूनियन बोली – यह झूठ है

55 दिन से चल रहे धरने में ASHA कार्यकर्ताओं ने लगाया आरोप – INTUC ने भरोसा तोड़ा, मांगों पर टाल-मटोल के लिए कमेटी बनाने की बात रखी सेक्रेटेरिएट के बाहर 55 दिनों से धरना दे रही आशा (ASHA) कार्यकर्ताओं ने शनिवार को कांग्रेस से जुड़ी ट्रेड यूनियन INTUC पर धोखा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हाल ही में सरकार से हुई बातचीत में INTUC ने मांगों को टालने के लिए कमेटी बनाने का सुझाव दिया, जिसे उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया। हालांकि, ट्रेड यूनियन ने इन आरोपों को पूरी तरह नकार दिया है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज और आंदोलन कर रहीं आशा कार्यकर्ताओं के बीच दो दिन पहले हुई तीसरे दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही, क्योंकि कार्यकर्ताओं ने सरकार की ओर से कमेटी बनाने के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया। केरल आशा हेल्थ वर्कर्स एसोसिएशन (KAHWA) की राज्य उपाध्यक्ष एस. मिनी ने एक टीवी चैनल से बातचीत में बताया कि सबसे पहले कमेटी का सुझाव INTUC के राज्य अध्यक्ष आर. चंद्रशेखरन की ओर से आया था। इसके बाद INTUC और अन्य ट्रेड यूनियन, जिन्हें बातचीत के लिए बुलाया गया था, ने KAHWA पर इस प्रस्ताव को मानने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। मिनी ने कहा, “हमने किसी दबाव में आकर झुकने से साफ इनकार कर दिया और प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया। हमने यह सुझाव दिया था कि हमारा मानदेय 7,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये तक किया जा सकता है — इसमें से अभी 3,000 रुपये की तत्काल बढ़ोतरी कर दी जाए ताकि आंदोलन खत्म किया जा सके। लेकिन सरकार इस पर तैयार नहीं थी।” मिनी के इन आरोपों को आर. चंद्रशेखरन ने झूठा बताया और टीवी चैनल से कहा कि कमेटी बनाने का सुझाव उनकी ओर से नहीं आया था।
उन्होंने उल्टा KAHWA नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनके पास मुद्दा सुलझाने की मंशा ही नहीं है और न ही आशा कार्यकर्ताओं के भले की सोच है। उन्होंने कहा कि मंत्री ने खुद कहा था कि मानदेय बढ़ाया जाएगा। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए KAHWA की महासचिव एम. ए. बिंदु ने कहा कि वे कमेटी के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा, “कमेटी बनाई जा सकती है ताकि आशा कार्यकर्ताओं की दूसरी परेशानियों की जांच की जा सके। लेकिन जहां तक मानदेय बढ़ाने और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभ की बात है, उसके लिए कमेटी की ज़रूरत नहीं है।” उन्होंने साफ कहा कि प्रदर्शनकारियों की मंशा यह नहीं है कि आंदोलन अनिश्चित काल तक चले। वे समाधान चाहती हैं। “लेकिन समाधान तभी निकलेगा जब हमारी मांगों को लेकर कोई ठोस प्रस्ताव सामने आए। अभी तक ऐसी कोई बात नहीं हुई। पूरा ध्यान सिर्फ कमेटी बनाने पर था और ट्रेड यूनियन हम पर इसे मानने का दबाव डाल रही थी,” उन्होंने कहा। बिंदु ने दोहराया कि KAHWA इस मसले को सुलझाना चाहता है और इसलिए उन्होंने प्रस्ताव दिया था कि अभी 3,000 रुपये की बढ़ोतरी दी जाए ताकि धरना खत्म किया जा सके, और बाद में इसे चरणों में बढ़ाकर 21,000 रुपये किया जा सकता है। KAHWA की सदस्य लगातार 55 दिन से सेक्रेटेरिएट के बाहर धरने पर बैठी हैं। उनकी मुख्य मांगें हैं — रिटायरमेंट के बाद लाभ और अधिक मानदेय। अब प्रदर्शन को और तेज़ करते हुए उन्होंने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है, जो अब 17वें दिन में पहुंच चुकी है।