संसद में वंदे मातरम और चुनावी सुधार पर बड़ा टकराव: इस हफ्ते क्या-क्या होगा?

संसद में वंदे मातरम पर खास बहस, पीएम मोदी से शुरूआत- इस हफ्ते संसद का माहौल काफी गरम रहने वाला है। सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर विशेष चर्चा होगी, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद करेंगे। इस बहस में कांग्रेस के नेता गौरव गोगोई और प्रियंका गांधी वाड्रा भी हिस्सा लेंगे। वंदे मातरम के इतिहास, उसके महत्व और उससे जुड़े विवादों पर सत्ता और विपक्ष के बीच कड़ी बहस देखने को मिलेगी। सरकार इस अवसर को देशभर में बड़े स्तर पर मनाना चाहती है, इसलिए यह चर्चा काफी खास मानी जा रही है।
राज्यसभा में अमित शाह और लोकसभा में चुनावी सुधार की बहस- मंगलवार को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह वंदे मातरम पर अपनी बात रखेंगे, जबकि लोकसभा में चुनावी सुधारों पर चर्चा शुरू होगी। भाजपा ने तय किया है कि वंदे मातरम पर आखिरी वक्ता भी उनका ही सांसद होगा। चुनावी सुधारों पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल दोनों सदनों में सरकार की ओर से जवाब देंगे। कांग्रेस ने भी कई सांसदों को तैयार किया है जो भाजपा के तर्कों का कड़ा जवाब देंगे। इस हफ्ते दोनों मुद्दों पर सियासी टकराव तेज होने की पूरी संभावना है।
वंदे मातरम पर विवाद: कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने- वंदे मातरम की बहस सिर्फ सांस्कृतिक नहीं, बल्कि राजनीतिक टकराव का मुद्दा बन चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह वंदे मातरम को पूरा नहीं पढ़ती और इसे राजनीति में इस्तेमाल करती है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि मोदी तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। कांग्रेस रवीन्द्रनाथ टैगोर के उस पत्र को भी सामने ला रही है जिसमें टैगोर ने कहा था कि वंदे मातरम के केवल शुरुआती दो पद ही गाए जाने चाहिए क्योंकि बाकी हिस्सों में धार्मिक रंग हैं। इस बहस में दोनों पक्ष अपने-अपने तर्कों के साथ जोरदार मुकाबला करेंगे।
चुनावी सुधारों पर राहुल गांधी का भाषण और वोट चोरी का मुद्दा- इस हफ्ते चुनावी सुधारों की बहस में राहुल गांधी का भाषण सबसे अहम माना जा रहा है। वे लगातार ‘वोट चोरी’ का मुद्दा उठा रहे हैं और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगा चुके हैं कि उसने भाजपा को हरियाणा और लोकसभा चुनाव में मदद दी। विपक्ष चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों पर सवाल उठाने को तैयार है। बहस में मृत बूथ लेवल अधिकारियों और SIR जैसी प्रक्रियाओं पर भी चर्चा होगी। वहीं भाजपा ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ जैसे बड़े सुधारों को आगे बढ़ाने की तैयारी में है।
बहस का एजेंडा कैसे तय हुआ: दो दिनों के टकराव के बाद समझौता- संसद के विंटर सेशन के पहले दो दिनों में विपक्ष ने SIR को लेकर कड़ा विरोध जताया था और बिना बहस के आगे बढ़ने से साफ इनकार कर दिया था। इसके बाद सरकार और विपक्ष के बीच कई दौर की बातचीत हुई। अंत में यह तय हुआ कि बहस सिर्फ SIR पर नहीं बल्कि व्यापक चुनावी सुधारों पर होगी, साथ ही वंदे मातरम के 150 साल की विशेष चर्चा भी होगी। इस समझौते के बाद यह हफ्ता दो बड़े मुद्दों पर केंद्रित रहेगा, जिनका राजनीतिक असर काफी दूर तक जाएगा।
वंदे मातरम के 150 साल: सरकार की बड़ी योजना- सरकार ने 1 अक्टूबर को हुई कैबिनेट बैठक में फैसला लिया है कि वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर पूरे देश में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। वंदे मातरम, जिसे बंकिमचंद्र चटर्जी ने लिखा था और अपनी किताब आनंदमठ में शामिल किया था, आज भी स्वतंत्रता आंदोलन की पहचान माना जाता है। इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में जन गण मन के समान दर्जा दिया गया है। सरकार इस अवसर को सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भावनात्मक रूप से मनाना चाहती है, और संसद में चल रही बहस इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।



