Madhya Pradesh

“भाजपा मंत्री का बड़ा बयान – ग्वालियर को चाहिए उद्योग, जरूरत पड़ी तो धरने पर बैठूंगा”

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भोपाल: सरकार पर सवाल उठाने से नहीं चूके मंत्री, बोले- ग्वालियर को उद्योग नहीं मिल रहे, जरूरत पड़ी तो सिंधिया के दरवाजे पर बैठूंगा मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल मची हुई है। पहले भाजपा विधायकों ने अपनी ही सरकार को घेरा और अब राज्य के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने औद्योगिक विकास को लेकर सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने खुलकर कहा कि ग्वालियर को उद्योग नहीं मिल रहे हैं और इसे फिर से औद्योगिक शहर बनाने के लिए वह केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के दरवाजे पर भी बैठने को तैयार हैं। “सिंधिया से कहा- पीएम मोदी और सीएम मोहन यादव से मिलें” ऊर्जा मंत्री तोमर ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से आग्रह किया है कि ग्वालियर में दोबारा उद्योग स्थापित किए जाएं। उन्होंने कहा, “आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव से मिलें, हमें भी साथ ले चलें। ग्वालियर को फिर से औद्योगिक शहर बनाने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा।” उन्होंने यह भी साफ किया कि यह कोई राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि ग्वालियर के विकास से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा, “ग्वालियर को जितने उद्योग मिलने चाहिए, उतने नहीं मिल पा रहे हैं। मेरे मन की बात मैंने कह दी है।”

पहले भी अपनी सरकार को घेर चुके हैं भाजपा विधायक यह पहली बार नहीं है जब भाजपा के किसी नेता ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए हैं। हाल ही में भाजपा विधायक चिंतामणि मालवीय ने मुख्यमंत्री के गृह जिले उज्जैन में सिंहस्थ क्षेत्र की किसानों की ज़मीन बिल्डरों को बेचने की साजिश का आरोप लगाया था, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें नोटिस थमा दिया। इसके अलावा, मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल तो पुलिस अधीक्षक कार्यालय जाकर दंडवत हो गए थे और कहा था, “मुझे गुंडों से मरवा दीजिए!” यह बयान देकर वे अचानक उठे और वहां से चले गए। भाजपा विधायक अजय विश्नोई ने भी सरकार पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था कि पूरी सरकार ही शराब ठेकेदारों के आगे दंडवत है। सरकार कर रही औद्योगिक निवेश लाने की कोशिश मध्य प्रदेश सरकार लगातार औद्योगिक निवेश लाने के प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में ग्वालियर में रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव (RIC) का आयोजन भी किया गया। इस कॉन्क्लेव में 8,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए और 35,000 नौकरियां सृजित करने का दावा किया गया। लेकिन बावजूद इसके, राज्य के ही मंत्री और विधायक औद्योगिक विकास को लेकर सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अब देखना होगा कि इस मुद्दे पर सरकार क्या प्रतिक्रिया देती है।

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