‘मसाला नहीं सब्जी है लहसुन’ – सुप्रीम कोर्ट के फैसले से MP की मंडियों में बदलेगा सिस्टम

इंदौर: अब लहसुन की नीलामी फल-सब्जियों की तरह आढ़तियों के जरिए नहीं हो सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि लहसुन को मसालों की श्रेणी में रखा जाएगा और इसकी नीलामी अब केवल सरकारी तरीके से ही होगी। इस फैसले के साथ पिछले 8 सालों से चल रहा विवाद भी समाप्त हो गया है। अब इंदौर सहित पूरे प्रदेश की मंडियों में लहसुन की नीलामी का तरीका बदल जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मंडी बोर्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर द्वारा 13 फरवरी 2015 को दिए गए आदेश को सही मानते हुए उस पर मुहर लगा दी है।
क्या था मामला और अब आगे क्या होगा
इंदौर की मंडी के व्यापारी मुकेश सोमानी और बिजलपुर के किसान कैलाश मुकाती इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे थे। किसानों का कहना था कि लहसुन जल्दी खराब होने वाला सामान है और इसे सब्जी की तरह देखा जाना चाहिए। उनका यह भी कहना था कि उन्हें यह छूट मिलनी चाहिए कि वे चाहें तो नीलामी सरकारी कर्मचारियों से कराएं या फिर आढ़तियों से। हाई कोर्ट ने किसानों के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन बाद में व्यापारी सोमानी ने इस फैसले पर स्टे ले लिया। इसके बाद किसान मुकाती ने स्टे हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस दौरान कोर्ट ने स्टे को हटा दिया और किसानों की मर्जी से नीलामी फिर से शुरू हो गई। लेकिन सुनवाई चलती रही। अब जब दिल्ली में इस मामले की अंतिम सुनवाई हुई, तो कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि लहसुन मसाले की श्रेणी में आता है और इसकी नीलामी केवल सरकारी कर्मचारी ही करवा सकते हैं। इस फैसले के बाद अब किसानों को अपनी उपज जैसे चाहें वैसे बेचने की छूट खत्म हो गई है। जल्द ही थोक मंडियों में प्राइवेट तरीके से लहसुन की नीलामी पर पाबंदी का आदेश भी जारी किया जा सकता है।