छत्तीसगढ़ में रोटी मेकर मशीन घोटाला: 60 हजार की मशीन 8 लाख में खरीदी?

लाखों की रोटी, जनता के पैसे की लूट? छत्तीसगढ़ में खरीद घोटाले का खुलासा!
महंगी मशीनों की खरीद, विभाग पर फिर लगे भ्रष्टाचार के आरोप-छत्तीसगढ़ का आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास विभाग एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह अच्छी नहीं है। खरीद-फरोख्त में गड़बड़ी के ताज़े आरोप लगे हैं, और मामला इस बार रोटी बनाने वाली मशीनों से जुड़ा है। चौंकाने वाली बात यह है कि बाज़ार में 50 से 60 हज़ार रुपये में आसानी से मिलने वाली रोटी मेकर मशीन को विभाग ने लगभग 8 लाख रुपये में खरीदा है। यह भारी अंतर सीधे तौर पर बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहा है, जिससे जनता में भारी आक्रोश है।
मंत्री ने जताई चिंता, सात दिन में मांगी रिपोर्ट-मामले की गंभीरता को समझते हुए, प्रदेश के मंत्री रामविचार नेताम ने विभागीय प्रमुख सचिव से इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट सात दिनों के अंदर मांगी है। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विभाग को लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि वे बाज़ार भाव से कई गुना ज़्यादा कीमत पर सामान खरीद रहे हैं। सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि जो भी इस गड़बड़ी के लिए ज़िम्मेदार पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी और किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पहले भी उठ चुके हैं सवाल, क्या है सच्चाई?-यह पहली बार नहीं है जब इस विभाग पर अत्यधिक दामों पर खरीददारी का आरोप लगा हो। पहले भी कई बार ऐसी शिकायतें सामने आई हैं कि बाज़ार में बेहद सस्ती मिलने वाली चीज़ों को विभाग ऊंचे दामों पर खरीदता है। रोटी मेकर मशीन का यह नया मामला पुराने आरोपों को और बल देता है। आम जनता का मानना है कि यह सीधे-सीधे सरकारी खजाने को चूना लगाने और भ्रष्टाचार का मामला है।
सोशल मीडिया पर मचा घमासान, जनता का आक्रोश-रोटी मेकर मशीन की इस महंगी खरीद का मामला सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल गया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर किस आधार पर इतनी महंगी मशीनों की खरीद की गई। जनता का सीधा आरोप है कि यह करदाताओं के पैसे की खुली लूट है। सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं ने इस मामले को और भी गर्मा दिया है, और सरकार पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है।
प्रयास संस्था’ के तहत हुई खरीद, कलेक्टर को शिकायत-मिली जानकारी के अनुसार, यह खरीद रायपुर जिले में संचालित ‘प्रयास संस्था’ के माध्यम से की गई है। इस खरीद प्रक्रिया को लेकर कलेक्टर को लिखित शिकायत भी दर्ज कराई गई है। शिकायत में साफ तौर पर कहा गया है कि मशीन की असल कीमत और विभाग द्वारा भुगतान की गई राशि के बीच ज़मीन-आसमान का अंतर है। अब यह देखना बाकी है कि आने वाली जांच में क्या सच सामने आता है और गड़बड़ी कहां हुई।
गरीबों के हक पर चोट, क्या यही है विकास?-लोगों का कहना है कि यह विभाग खासकर आदिवासी और कमजोर वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए बनाया गया है। ऐसे में, अगर उनके नाम पर ही भ्रष्टाचार हो रहा है, तो यह बेहद शर्मनाक बात है। एक मशीन पर इतने बड़े स्तर पर पैसों की हेराफेरी की खबर से यह आशंका और भी गहरी हो गई है कि शायद बड़े प्रोजेक्ट्स में भी इसी तरह की गड़बड़ियां चल रही होंगी।
जांच रिपोर्ट का इंतज़ार, क्या खुलेगा राज?-अब सभी की निगाहें आगामी सात दिनों में आने वाली जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं। जनता को उम्मीद है कि इस मामले की पूरी सच्चाई सामने आएगी और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह विभाग की साख पर एक बड़ा धब्बा होगा। इस पूरे प्रकरण ने यह सवाल ज़रूर खड़ा कर दिया है कि क्या सरकारी खरीद-फरोख्त में कभी पारदर्शिता आ पाएगी?



