सद्गुरु कबीर स्मृति महोत्सव में देशभर के साधु-संतों के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शिरकत की….
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज डॉ. अस्पताल के अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में आयोजित सदगुरु कबीर स्मृति महोत्सव में शामिल हुए. अम्बेडकर मेमोरियल अस्पताल। श्री बघेल ने कहा कि आज इस कार्यक्रम में एक साथ अनेक संतों को देखकर उन्हें प्रसन्नता होती है। यहां संत कबीर लोगों के दिलों में बस गए। छत्तीसगढ़ के कण-कण में संत कबीर की वाणी का वास है। उन्होंने घोषणा की कि जिन कबीर आश्रमों को अब तक अनुदान नहीं मिला है, उनमें से प्रत्येक को वे 50 लाख रुपये देंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा साधु-संत भारत देश में प्रकट हुए। साधु-संत ही समाज की वर्तमान समस्याओं का समाधान और उत्तर देते हैं। अलग-अलग संतों के अलग-अलग मत हो सकते हैं। आज जब किसी की तबीयत खराब होती है तो वह डॉक्टर, डॉक्टर या वैद्य के पास जाता है और इलाज करवाता है। जब कोई मन से बीमार हो जाता है, तो संत और गुरु उसका इलाज करते हैं।
उन्होंने कहा कि जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो वह सोचते हैं कि उन्हें 12वीं पास करनी चाहिए, फिर कॉलेज जाने का सौभाग्य, स्कूल के बाद सौभाग्य, काम में सौभाग्य, फिर परिवार में सौभाग्य, और अंत में वे श्मशान जाते हैं। फिर भी उसका भाग्योदय नहीं होगा। आजकल कोई खुश नहीं है, हर कोई खुशियों की तलाश में है। लोग आज अच्छा खाना, नए कपड़े और आधुनिक विलासिता चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संत कबीर आज नहीं रहे, लेकिन उनके संदेश को आगे बढ़ाने वाले उनके दिखाए मार्ग पर चलकर संतों का सान्निध्य प्राप्त कर सकते हैं। संतों के विचारों को अपने जीवन में धारण करें और सुखी जीवन व्यतीत करें। आज किसी को दुखी होने की जरूरत नहीं है, लोग खुशी बाहर ढूंढते हैं, जबकि खुशी हमारे भीतर बसती है।
महोत्सव का आयोजन सद्गुरु कबीर विश्व शांति मिशन, छत्तीसगढ़ संत संगठन द्वारा किया गया था। समारोह में पद्मश्री मदन सिंह चौहान ने भजन प्रस्तुत किए। समारोह में बतौर अतिथि पूर्व विधायक गुरमुख सिंह होरा शामिल हुए। कबीर स्मृति महोत्सव में देशभर के संतों ने शिरकत की। इनमें बाराबंकी (यूपी) के संत श्री निष्ठा साहब, खरसिया के संत श्री सुधाकर शास्त्री, कबीरमठ नदिया के आचार्य श्री मंगल साहब, दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास, दामाखेड़ा परंपरा के प्रतिनिधि श्री रविकर साहब, जगम साहब परंपरा के प्रतिनिधि, परम्परा प्रतिनिधि संतजन, सद्गुरु कबीर संत गुरुजन और विश्व शांति मिशन के साध्वीजन शामिल हुए।