लाड़ली लक्ष्मी योजना पर संकट, सरकार ने अभी तक कई जिलों को नहीं भेजा पैसा

ग्वालियर: मध्य प्रदेश सरकार की लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत कई जिलों की पात्र बेटियों को बीते वित्तीय वर्ष की किस्त की राशि अब तक नहीं मिल पाई है। बताया जा रहा है कि सरकार के पास फिलहाल बजट की कमी है, जिसकी वजह से ये स्थिति बनी हुई है। असल में, लाड़ली लक्ष्मी योजना का बजट अलग से होता है। इसके लिए सरकार की तरफ से एक “पूल” बनाया जाता है, जिसमें हर साल जिलों को तय राशि आवंटित की जाती है। हर साल मार्च के 20 से 31 तारीख के बीच इस योजना के बजट को पूल में डाल दिया जाता है, लेकिन इस बार अप्रैल का पहला हफ्ता भी गुजर गया है और अब तक ग्वालियर, बालाघाट, छिंदवाड़ा और झाबुआ जैसे कई जिलों को योजना की राशि नहीं मिली है।
36 हजार से ज़्यादा बेटियों को अब तक नहीं मिली पिछली किस्त
ग्वालियर जिले में ही 36 हज़ार से ज्यादा योग्य बेटियों को पिछले साल की किश्त नहीं मिल पाई है। यहां करीब 22 करोड़ रुपये की राशि देनी बाकी है। इस बारे में ज़िला कार्यक्रम अधिकारी डीएस जादौन ने बताया कि सरकार की ओर से सूचना मिली है कि जल्द ही बजट जारी किया जाएगा। आपको बता दें कि लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत साल 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी। इस योजना का मकसद बेटियों के जन्म को लेकर समाज में सकारात्मक सोच बढ़ाना, लिंगानुपात में सुधार लाना, बेटियों की पढ़ाई और सेहत की स्थिति बेहतर बनाना, और उनके उज्जवल भविष्य की नींव रखना है। इस योजना का फायदा लेने के लिए सबसे पहले बेटी के जन्म के समय उसका रजिस्ट्रेशन कराना ज़रूरी होता है। इस योजना के तहत पात्र बच्चियों के खाते में हर साल 6,000 रुपये की राशि पांच साल तक जमा की जाती है। जब लड़की 21 साल की हो जाती है, तब तक उसे ब्याज सहित कुल 1,43,000 रुपये मिलते हैं।
लाड़ली योजना की राशि से संभल योजना भी चली
एक समय ऐसा भी आया था जब सरकार ने राज्य में संभल योजना की शुरुआत की थी, तब उस योजना को चलाने के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना के फंड से पैसा लिया गया था। हालांकि, बाद में वह पैसा दोबारा वापस नहीं किया गया। अधिकारियों का कहना है कि चूंकि लाड़ली लक्ष्मी योजना के पूल में अच्छी-खासी राशि होती है, इसलिए वहां से फंड लेना आसान हो गया था।