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वक्फ संपत्तियों पर सरकार का दखल? संशोधन बिल पर मुस्लिम संगठनों का बड़ा ऐतराज

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वक्फ संशोधन बिल: भारी विरोध के बीच लोकसभा में पेश, मुस्लिम संगठनों ने जताई आपत्ति वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर देशभर में घमासान मचा हुआ है। विपक्ष के कड़े विरोध के बीच केंद्र सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पेश कर दिया। 1 अप्रैल को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में इसे सदन में लाने का फैसला लिया गया था। इस बिल को लेकर विपक्ष सरकार पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगा रहा है, वहीं मुस्लिम संगठनों और धार्मिक विद्वानों ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की है।

मुस्लिम संगठनों और विद्वानों की प्रतिक्रिया

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और कई बड़े मुस्लिम संगठन इस विधेयक का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। AIMPLB के प्रवक्ता एस. इलियास ने इसे वक्फ संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश बताया और कहा कि यह किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से इस बिल के खिलाफ एकजुट होने की अपील भी की। दारुल उलूम देवबंद के विद्वानों ने इस बिल को मुस्लिम धार्मिक स्थलों के लिए खतरा बताते हुए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने विधेयक को खारिज करते हुए 22 सुझाव भी सरकार के सामने रखे हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी इस बिल पर कड़ी आपत्ति जताई। उनका कहना है कि सरकार वक्फ संपत्तियों की प्रकृति और स्थिति बदलना चाहती है ताकि उन पर कब्जा किया जा सके, जो संविधान द्वारा दिए गए धार्मिक अधिकारों के खिलाफ है। जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सादातुल्लाह हुसैनी ने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों की स्वायत्तता को कमजोर करने के लिए लाया गया है। उन्होंने इसे सीधे तौर पर वक्फ संपत्तियों पर हस्तक्षेप बताया। वहीं, शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने भी इसे असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि सरकार वक्फ संपत्तियों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहती है, जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

विधेयक के समर्थन में भी उठी आवाजें

जहां ज्यादातर मुस्लिम संगठन इस विधेयक के खिलाफ हैं, वहीं सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंसूर खान ने इसे वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों का पिछले 70 वर्षों में बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ है, इसलिए इसे अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से हटाकर गृह मंत्रालय के अधीन कर देना चाहिए ताकि सरकारी स्तर पर इसकी निगरानी की जा सके।

मुस्लिम समुदाय में बंटी राय

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर मुस्लिम समाज में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जहां एक तरफ बड़े मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप मान रहे हैं, वहीं कुछ इसे सुधारात्मक कदम के रूप में देख रहे हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार इस बिल पर आगे क्या रुख अपनाती है।

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