भारत-रूस रिश्तों में नई रफ्तार: व्यापार, आतंकवाद और वैश्विक राजनीति पर बड़ी बातचीत

भारत-रूस की दोस्ती: व्यापार, सुरक्षा और वैश्विक मुद्दों पर गरमागरम चर्चा!-भारत और रूस के बीच के रिश्ते हमेशा से ही बहुत मजबूत और भरोसेमंद रहे हैं। हाल ही में हुई एक अहम बैठक में, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने मिलकर यह तय किया कि आने वाले समय में एक-दूसरे के साथ व्यापार को और भी बेहतर और टिकाऊ बनाया जाएगा। इस मुलाकात में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कई महत्वपूर्ण विषयों पर खुलकर बातचीत की, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे।
व्यापार को मिलेगी नई उड़ान: भारतीय सामानों का निर्यात बढ़ेगा!-इस महत्वपूर्ण बैठक का मुख्य एजेंडा भारत और रूस के बीच व्यापार को और अधिक मजबूत बनाना रहा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बात पर खास जोर दिया कि व्यापार में आने वाली गैर-ज़रूरी रुकावटों और नियमों की अड़चनों को जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वास जताया कि भारत से दवाइयां, कृषि उत्पाद और कपड़े जैसे सामानों का रूस में निर्यात काफी बढ़ सकता है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार में जो असंतुलन है, उसे भी ठीक करने में मदद मिलेगी। यह भारत के लिए एक बड़ी खुशखबरी है क्योंकि इससे हमारे निर्यातकों को बढ़ावा मिलेगा और देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। साथ ही, रूस से मिलने वाली उर्वरकों की सप्लाई को लंबे समय के लिए पक्का करने और भारतीय कुशल मजदूरों की रूस में बढ़ती जरूरत पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता: मिलकर लड़ेंगे हर बुराई!-इस बैठक में आतंकवाद का मुद्दा भी बहुत प्रमुखता से उठाया गया। विदेश मंत्री जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत और रूस आतंकवाद के किसी भी रूप या उसके फैलाव के खिलाफ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने इस बात को फिर से दोहराया कि भारत आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाता है और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाएगा, खासकर उन आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ जो सीमा पार से संचालित होती हैं। यह साझेदारी आतंकवाद जैसी वैश्विक समस्या से निपटने में दोनों देशों की गंभीरता को दर्शाती है और यह दिखाता है कि वे एक-दूसरे की सुरक्षा को कितनी अहमियत देते हैं। यह मिलकर काम करने का संकल्प दुनिया को एक सुरक्षित स्थान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारतीय नागरिकों की सुरक्षा: भारत सरकार की प्राथमिकता!-विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस में भारतीय नागरिकों से जुड़े एक संवेदनशील मुद्दे को भी इस बैठक में उठाया। उन्होंने बताया कि कुछ भारतीय नागरिक जो रूस की सेना में सेवा कर रहे थे, उनमें से कई को तो वापस भारत भेज दिया गया है, लेकिन अभी भी कुछ ऐसे मामले हैं जिनका समाधान बाकी है और कुछ लोग लापता भी हैं। भारत सरकार ने उम्मीद जताई है कि रूस इन मामलों को जल्द से जल्द सुलझाने में मदद करेगा और लापता नागरिकों का पता लगाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। यह दिखाता है कि भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा और उनके कल्याण को कितनी अहमियत देती है, चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में हों।
वैश्विक मंच पर भारत-रूस की मजबूत साझेदारी!-भारत और रूस ने वैश्विक शासन व्यवस्था में सुधार लाने की अपनी साझा सोच को भी इस बैठक में फिर से दोहराया। जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को आज की दुनिया की जरूरतों के हिसाब से और अधिक व्यापक और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा, जी20, ब्रिक्स और एससीओ जैसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत और रूस की साझेदारी को और मजबूत बनाने पर जोर दिया गया। दोनों देशों ने यूक्रेन, पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की मौजूदा स्थिति पर भी अपने विचार साझा किए। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत हमेशा से बातचीत और कूटनीति के माध्यम से किसी भी मतभेद को सुलझाने में विश्वास रखता है।
ऊर्जा सहयोग: दोनों देशों के रिश्तों की जान!-भारत और रूस के बीच ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग भी चर्चा का एक बहुत अहम हिस्सा रहा। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारतीय सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने के फैसले के बीच, जयशंकर ने साफ किया कि भारत का तेल खरीदने का निर्णय पूरी तरह से देश के हित और बाजार की मौजूदा परिस्थितियों पर आधारित है। यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। जयशंकर और रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के बीच ऊर्जा और निवेश के विभिन्न पहलुओं पर भी लंबी और विस्तृत बातचीत हुई, जिससे भविष्य में दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूती मिलेगी।



