ऑनलाइन गेमिंग पर सख्ती: संसद में पेश हुआ नया बिल, जानिए क्या बदलेगा

लोकसभा में गूंजा ऑनलाइन गेमिंग का मुद्दा: क्या है नया बिल?
ऑनलाइन गेमिंग पर लगेगी लगाम? जानें सरकार का नया कदम
विपक्ष के हंगामे के बीच पेश हुआ बिल, जानें क्या है पूरा मामला, हंगामा और बिल का पेश होना: एक साथ दो खबरें- बुधवार का दिन लोकसभा में काफी गहमागहमी वाला रहा। जहाँ एक तरफ विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस, बिहार की वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मुद्दा उठाकर ज़ोर-शोर से विरोध कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण बिल पेश कर दिया। यह बिल सीधे तौर पर ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया से जुड़ा है, जिसे नियंत्रित करने और कुछ हद तक प्रतिबंधित करने का इरादा रखती है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जब यह बिल सदन में रखा, तब भी विपक्षी सांसद अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी कर रहे थे और तख्तियां दिखा रहे थे। इस शोर-शराबे के बीच, कांग्रेस के मनीष तिवारी जैसे नेताओं ने भी कहा कि पहले बिहार के मुद्दे पर बात होनी चाहिए। आरएसपी के एन. के. प्रेमचंद्रन ने भी कहा कि जब सदन में व्यवस्था ही ठीक नहीं है, तो वे अपनी बात कैसे रखें। यह दिखाता है कि कैसे एक महत्वपूर्ण विधायी प्रक्रिया भी राजनीतिक माहौल और विरोध प्रदर्शनों के बीच फंस सकती है, जिससे आम जनता के लिए असली मुद्दे समझना और भी मुश्किल हो जाता है।
सरकार का पलटवार: विपक्ष के रवैये पर सवाल- सदन में लगातार हो रहे इस हंगामे पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि विपक्ष का यह रवैया देश की लोकतांत्रिक परंपराओं पर ही सवाल उठाता है। रिजिजू ने तो यहाँ तक कह दिया कि आजकल स्कूलों के बच्चे भी संसद में सांसदों के ऐसे व्यवहार को देखकर उनका मज़ाक उड़ाते हैं। यह टिप्पणी दर्शाती है कि सरकार विपक्ष के विरोध को किस नज़र से देख रही है और उसे यह व्यवहार कितना अनुचित लग रहा है। विपक्ष के लगातार हंगामे के कारण, सदन की कार्यवाही को संभाल रहे पी. सी. मोहन को आखिरकार दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा। इस तरह के स्थगन न केवल विधायी कार्यों में बाधा डालते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि कैसे राजनीतिक मतभेद कानून बनाने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं और देश के विकास को प्रभावित कर सकते हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है कि कैसे संसद जैसे महत्वपूर्ण मंच पर भी संवाद और चर्चा की जगह टकराव और शोर-शराबा ले लेता है।
बिल का मुख्य उद्देश्य: ऑनलाइन गेमिंग को समझना- सरकार द्वारा लाए गए इस नए बिल का सबसे अहम मकसद ऑनलाइन ‘मनी गेमिंग’ यानी ऐसे खेल जिनमें पैसों का लेन-देन होता है, उन्हें नियंत्रित करना और उनके विज्ञापनों पर रोक लगाना है। इस बिल के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति ऐसे गेम्स को उपलब्ध कराता है या उनका प्रचार करता हुआ पाया जाता है, तो उसे जेल की सज़ा, भारी जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है। इस बिल की एक खास बात यह है कि इसमें ऑनलाइन मनी गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स या सोशल गेम्स के बीच एक स्पष्ट अंतर रेखा खींची गई है। इसका मतलब यह है कि जहाँ सीधे तौर पर पैसों की बाजी लगाने वाले या जुए जैसे गेम्स को पूरी तरह से गैर-कानूनी माना जाएगा, वहीं दूसरी ओर ई-स्पोर्ट्स और ऐसे सोशल गेम्स जिन्हें खेलने में मज़ा आता है और जिनसे कोई वित्तीय नुकसान नहीं होता, उन्हें बढ़ावा देने की बात कही गई है। सरकार का मानना है कि अगर ऑनलाइन गेमिंग को सही दिशा में इस्तेमाल किया जाए, तो यह युवाओं की प्रतिभा को निखारने और उनके लिए रोज़गार के नए अवसर पैदा करने में भी मदद कर सकता है। यह संतुलन बनाने की कोशिश है ताकि अच्छे गेम्स को रोका न जाए और हानिकारक गेम्स पर अंकुश लगाया जा सके।



