MP CM मोहन यादव ने सोनिया गांधी के “बर्बादी खत्म होनी चाहिए” वाले लेख पर किया पलटवार

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोनिया गांधी पर साधा निशाना, नई शिक्षा नीति पर दिए बयान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के एक अखबार में नई शिक्षा नीति (NEP) पर लिखे गए लेख को लेकर कड़ी आलोचना की। सोनिया गांधी ने द हिंदू में अपने लेख ‘भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर मंडराते 3C’ में कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 को सरकार ने बड़े जोर-शोर से लागू तो किया, लेकिन असल में भारत के बच्चों और युवाओं की शिक्षा को लेकर सरकार बिल्कुल गंभीर नहीं है। मोहन यादव का पलटवार इस पर मोहन यादव ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश ने नई शिक्षा नीति को सफलतापूर्वक लागू किया है। मैं सोनिया गांधी के इस लेख की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। मुझे लगता है कि उन्होंने नई शिक्षा नीति को ठीक से पढ़ा ही नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “हमें अपने अतीत पर गर्व होना चाहिए। अगर कोई इसे बढ़ा-चढ़ाकर सांप्रदायिक रंग देता है, तो वही असल में सांप्रदायिक है। अगर हम शिवाजी महाराज की तुलना अकबर या औरंगजेब से करते हैं, तो हमारी जड़ें शिवाजी से जुड़ी होनी चाहिए। अपने देश के नागरिकों के प्रति हमारे अंदर सम्मान और जुड़ाव होना जरूरी है।”
संस्कृति और शिक्षा को जोड़ने की जरूरत मोहन यादव ने यह भी कहा कि देश रहीम और रसखान का सम्मान करता है क्योंकि उन्होंने भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति दिखाई थी। लेकिन ब्रिटिश हुकूमत समेत कुछ शासकों ने भारत के प्रति कभी कोई लगाव नहीं दिखाया उन्होंने आगे कहा, “शिक्षा से आत्मनिर्भरता और संस्कार भी आने चाहिए। हमारी संस्कृति से जुड़कर गर्व महसूस होना चाहिए और साथ ही भविष्य की ओर भी कदम बढ़ाने चाहिए। जो चीजें हमें अतीत में गुलाम बनाती थीं, उनसे दूर होने की जरूरत है। यही प्रयास राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत किया गया है।”सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर लगाए ये आरोप सोनिया गांधी ने अपने लेख में पिछले 10 सालों की केंद्र सरकार की शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार का पूरा ध्यान केवल तीन चीजों पर रहा है – सत्ता का केंद्रीकरण, शिक्षा में निजीकरण और किताबों-क पाठ्यक्रम का सांप्रदायिकरण। उन्होंने लिखा, “इस केंद्रीकरण, निजीकरण और सांप्रदायिकरण का सीधा असर छात्रों पर पड़ रहा है। भारत की पब्लिक एजुकेशन सिस्टम को इस बर्बादी से बचाना होगा।” इस मुद्दे पर अब राजनीति गरमा गई है, और आने वाले दिनों में इस पर और चर्चाएं होने की संभावना है।