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राजभवन में गुजरात और महाराष्ट्र के स्थापना दिवस पर राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल का कहना अनेकता में एकता राष्ट्र की नींव, भारतीयता की पहचान…..

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राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल एवं मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज सांदीपनी सभागार राजभवन में गुजरात एवं महाराष्ट्र राज्य के स्थापना दिवस पर अखंडता महोत्सव मनाया गया. महोत्सव में गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत पर केंद्रित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम में भोपाल, गुजरात एवं महाराष्ट्र सोसायटियों के निवासी सदस्य उपस्थित थे। प्रारंभ में राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने सांदीपनी सभागार स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।

भारतीय संस्कृति स्थानीय संस्कृतियों से बनी है : राज्यपाल श्री पटेल

राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल ने कहा कि हिंद देश की जनता, सभी लोग एक हैं। रंग हो, रूप हो, वस्त्र हो, भाषा हो, उनमें से अनेक हैं। भारतीय संस्कृति का विकास विभिन्न स्थानीय संस्कृतियों से रूबरू होकर हुआ। हम सब भारतीय हैं, यही भावना भारत को एक राष्ट्र का आकार देती है। विविधता में एकता की भावना हमारे राष्ट्र की नींव है। भारत देश और भारत के लोगों के प्रति प्रेम होना राष्ट्रीय एकता का एक रूप है। राष्ट्रीय अखंडता का अर्थ है देश के हर हिस्से की सुरक्षा और विनाशकारी ताकतों के प्रयासों को पराजित करके आंतरिक एकता बनाए रखना। हमारी भारतीय पहचान विभिन्न परंपराओं, लोकाचारों से प्रभावित है, हमारे मन में भाषाओं और संस्कृतियों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का भाव है। राजभवन में आयोजित अखंडता का यह त्योहार विविधता और खुशी में एकता के सांप्रदायिक उत्सव की भारतीय संस्कृति की विशिष्ट भावनाओं और भावनाओं का प्रतिबिंब है। मध्यप्रदेश के विकास में विभिन्न राज्यों के लोगों का योगदान प्रशंसनीय है। यह गुजरात और महाराष्ट्र राज्य के स्थापना दिवस के उत्साह और उत्साह में मध्य प्रदेश के लोगों की भागीदारी का प्रतीक है।

राज्यपाल ने भारत के अखंड स्वरूप के निर्माता लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल का सबसे बड़ा योगदान 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलय था। शायद विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं हुआ होगा जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों के एकीकरण का ऐसा साहसिक कार्य किया होगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश भारत का दिल है, यहां विभिन्न आकार, रंग और भाषा के लोग रहते हैं। उन्होंने सभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने में योगदान देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आइए हम अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं को संरक्षित और प्रचारित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को प्राप्त करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने का संकल्प लें।

गुजरात और महाराष्ट्र ने देश को कई दिग्गज दिए हैं: मुख्यमंत्री श्री चौहान

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भारत माता के सभी सपूत जहां भेदभाव की बात है, इसलिए मध्यप्रदेश में जो आता है वह मध्यप्रदेश हो जाता है। जैसे दूध में शक्कर घुल जाती है, वैसे ही मध्यप्रदेश में आने वाले मिल-मिलाकर बस जाते हैं। उन्होंने अखंड भारत के निर्माण और विकास में महाराष्ट्र और गुजरात के योगदान का उल्लेख किया। प्रदेश की पावन परम्परा एवं महापुरुषों का स्मरण करते हुए उनके महान कार्यों पर प्रकाश डालते हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र वीरों और संतों की भूमि है जिन्होंने देश को अनेक महापुरूष दिए हैं। महाराष्ट्र के शिवाजी महाराज, संत तुकाराम, लोकमान्य तिलक जैसे व्यक्तित्व थे। संत नरसिंह मेहता जैसे व्यक्तित्व, दुनिया को शांति का संदेश देने वाले अद्भुत महात्मा गांधी, देश को एक सूत्र में पिरोने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल और अपने आप में एक संस्था प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी। गुजरात राज्य भारत के लिए एक उपहार है। उन्होंने महाराष्ट्र और गुजरात राज्य के साथ अपने व्यक्तिगत संबंध का उल्लेख किया और कहा कि वह महाराष्ट्र राज्य के दामाद हैं। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा एक गुजराती स्कूल में प्राप्त की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भारत एक महान राष्ट्र है। यहां ज्ञान और विज्ञान की परंपराएं 5000 साल पुरानी हैं। जब विश्व के विकसित देशों में सभ्यता का उदय नहीं हुआ, तब भारत में ऋचाओं का निर्माण हुआ। उन्होंने कहा कि भारत ने मानवता का एक शुभ स्वरूप दिखाया है, वह विश्व को एक परिवार मानता है, जियो और जीने दो, सत्यमेव जयते, सभी प्राणियों में सद्भाव और सभी सुखी रहें, सभी स्वस्थ रहें आदि।

मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत की प्रस्तुति

गुजरात समाज के अध्यक्ष श्री संजय पटेल और मराठी समाज के डॉ. अभिजीत देशमुख ने अतिथियों का स्वागत किया और उत्सव की स्मृति चिन्ह भेंट किया। कार्यक्रम के दौरान गुजरात समाज की ओर से श्रीमती गुरुप्रीत राजपाल के नेतृत्व में गरबा व डांडिया रास नृत्य किया गया। गणेश वंदना, गोफ

श्रीमती शोभा बिस के निर्देशन में महाराष्ट्र समाज द्वारा कोई नृत्य और महाराष्ट्र जयघोष गाया गया। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के अलीराजपुर एवं झाबुआ जिले के विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने आदिवासी सांस्कृतिक वैभव और अनेकता में एकता का प्रतीक भगोरिया नृत्य प्रस्तुत किया।

संस्कृति निदेशक अदिति कुमार त्रिपाठी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। सचिव राजभवन आदिवासी प्रकोष्ठ श्री. एस जामोद ने आभार स्वीकार किया। सर्जरी श्री विनय उपाध्याय द्वारा की गई थी। मंच पर श्री दीपक खांडेकर, अध्यक्ष राजभवन आदिवासी प्रकोष्ठ, राज्यपाल के प्रधान सचिव श्री संजीव कुमार झा और निदेशक मराठी साहित्य अकादमी श्री उदय परांजपे थे।

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