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TASMAC घोटाले पर सेंथिल बालाजी का पलटवार, कहा – बजट से ध्यान भटकाने की कोशिश

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तमिलनाडु के मंत्री का दावा – 1,000 करोड़ के शराब घोटाले के आरोप बेबुनियाद, ED पर लगाया साजिश का आरोप

चेन्नई: तमिलनाडु के बिजली और आबकारी मंत्री वी. सेंथिल बालाजी ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा लगाए गए 1,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने इसे केंद्र सरकार की “राजनीतिक हताशा” बताया और कहा कि ED मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन को राजनीतिक रूप से मात नहीं दे पा रही है, इसलिए इस तरह की साजिश रची जा रही है। बालाजी, जो खुद मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत पर बाहर हैं, ने कहा कि राज्य सरकार ED की मनमानी कार्रवाई के खिलाफ न्यायालय का रुख करने पर विचार कर रही है। इससे पहले, मद्रास हाईकोर्ट ने अवैध रेत खनन मामले में पांच जिला कलेक्टरों के खिलाफ ED की जांच पर रोक लगा दी थी, यह कहते हुए कि एजेंसी को कलेक्टरों को समन भेजने का अधिकार नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने जांच जारी रखने पर रोक नहीं लगाई थी।

“TASMAC पूरी तरह पारदर्शी, घोटाले की कोई गुंजाइश नहीं” – बालाजी

मंत्री ने कहा कि TASMAC (तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन), जो राज्य सरकार की स्वामित्व वाली शराब वितरण कंपनी है, पूरी तरह पारदर्शी तरीके से काम करती है। सभी प्रक्रियाएं नियमों के तहत होती हैं, और टेंडरिंग सिस्टम भी साफ-सुथरा है, जिससे किसी तरह की गड़बड़ी की कोई संभावना नहीं है। बालाजी ने यह भी आरोप लगाया कि ED की रिपोर्ट राज्य के बजट की सुर्खियों को दबाने के लिए जानबूझकर जारी की गई है। उन्होंने कहा, “कुछ दिन पहले एक नेता ने कहा था कि TASMAC घोटाले की रकम 1,000 करोड़ रुपये है, और अब ED ने भी वही आंकड़ा दोहरा दिया। क्या ED किसी के इशारे पर काम कर रही है?” उन्होंने सीधे तौर पर किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई की ओर था।

ED का दावा – अवैध लेन-देन के सबूत मिले

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार रात को जारी अपने बयान में कहा कि तमिलनाडु की डिस्टिलरी कंपनियों ने अवैध रूप से 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की नकद हेराफेरी की। यह पैसा कथित तौर पर TASMAC से ज्यादा सप्लाई ऑर्डर लेने के लिए रिश्वत के रूप में दिया गया।

TASMAC मुख्यालय और डिस्टिलरी कंपनियों पर ED की छापेमारी

ED ने पिछले हफ्ते चेन्नई में TASMAC मुख्यालय सहित कई सप्लायर कंपनियों पर छापेमारी की। इन कंपनियों में SNJ, Kals, Accord, SAIFL और Shiva Distillery के नाम शामिल हैं। इसके अलावा, Devi Bottles, Crystal Bottles और GLR Holding जैसी बॉटलिंग कंपनियों के दफ्तरों पर भी छापे मारे गए।

“फर्जी खर्च और नकली खरीदारी से किया घोटाला” – ED

ED के मुताबिक, यह एक सुनियोजित घोटाला था, जिसमें कंपनियों ने फर्जी खर्च और नकली खरीदारी दिखाकर 1,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। खासतौर पर, बॉटलिंग कंपनियों के जरिए खर्च को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया, जिससे नकद निकासी कर ली जाए। बयान में आगे कहा गया, “इन अवैध फंड्स का इस्तेमाल रिश्वत के रूप में किया गया ताकि कंपनियों को TASMAC से ज्यादा सप्लाई ऑर्डर मिल सके। बॉटलिंग कंपनियों ने बिक्री के आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए, जिससे डिस्टिलरी कंपनियों को अतिरिक्त भुगतान का मौका मिला। बाद में, यह पैसा नकद में निकाला गया और कुछ हिस्सा कमीशन काटकर लौटा दिया गया।” तमिलनाडु में यह शराब घोटाला राजनीतिक रूप से भी बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। विपक्ष लगातार राज्य सरकार पर हमलावर है, जबकि सरकार ED की जांच को केंद्र सरकार की साजिश बता रही है। अब देखना होगा कि यह मामला आगे क्या मोड़ लेता है।

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