अगली पीढ़ी का GST: अब सिर्फ दो स्लैब में टैक्स, महंगाई होगी कम और जेब में बचेगा ज्यादा पैसा

GST में बड़ा बदलाव: अब सिर्फ 2 स्लैब, आम आदमी की जेब पर पड़ेगा सीधा असर!
GST का नया अवतार: ‘नेक्स्ट जेन GST’ का आगाज़- यारों, अपने देश में टैक्स सिस्टम में एक ज़बरदस्त बदलाव की तैयारी चल रही है, जिसे सरकार ने ‘नेक्स्ट जेन GST’ का नाम दिया है। अभी तक हम चार अलग-अलग टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) के चक्कर में फंसे हुए थे, लेकिन अब कहानी बदलने वाली है। सरकार का प्लान है कि इन चार स्लैब को खत्म करके सिर्फ दो ही रखे जाएं – 5% और 18%। सोचिए, इससे कितना आसान हो जाएगा सब कुछ! और सबसे अच्छी बात ये है कि रोज़मर्रा की ज़रूरत की चीज़ें सस्ती होंगी, जिससे सीधे-सीधे हम जैसे आम लोगों को फायदा पहुंचेगा। सरकार का मानना है कि इस एक कदम से न सिर्फ टैक्स का झंझट कम होगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी एक नई जान मिलेगी, जो आजकल के माहौल में बहुत ज़रूरी है। ये बदलाव सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि हमारी ज़िंदगी पर भी असर डालेंगे, और वो भी अच्छे के लिए!
सिर्फ दो स्लैब: क्या है माजरा और क्यों है ये इतना खास?-अभी हमारे GST सिस्टम में चार दरें हैं: 5%, 12%, 18% और 28%। लेकिन जो नया प्रपोज़ल आया है, उसमें 12% और 28% वाले स्लैब को टाटा-बाय-बाय कह दिया जाएगा। यानी, अब ज़्यादातर सामान या तो 5% वाले ग्रुप में आएगा या फिर 18% वाले में। सरकार का कहना है कि इससे टैक्स का ढाँचा बहुत ज़्यादा स्टेबल हो जाएगा और बार-बार नियम बदलने की नौबत नहीं आएगी। सबसे बड़ी बात ये है कि मक्खन, फल का जूस, ड्राई फ्रूट्स और स्टेशनरी जैसी रोज़मर्रा की ज़रूरी चीज़ें, जो अभी 12% टैक्स में आती हैं, वो घटकर सिर्फ 5% में मिलेंगी। इसका सीधा मतलब है कि हमारी जेब पर बोझ कम होगा और हम ज़्यादा ख़रीदारी कर पाएंगे। जब लोगों के पास खर्च करने के लिए ज़्यादा पैसा होगा, तो बाज़ार में रौनक आएगी और हमारी इकॉनमी को भी बूस्ट मिलेगा। ये सच में एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है!
कौन सी चीज़ें होंगी सस्ती और किसे मिलेगा ज़्यादा फायदा?-इस नए GST सिस्टम में, जो चीज़ें हम रोज़ इस्तेमाल करते हैं, उन्हें सस्ते टैक्स ब्रैकेट में डाल दिया जाएगा। जैसे, मक्खन, पेंसिल, जूस और सूखे मेवे जैसी चीज़ों पर 12% की जगह सिर्फ 5% टैक्स लगेगा। वहीं, जो थोड़ी महंगी चीज़ें हैं जैसे टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन या सीमेंट, जिन पर अभी 28% टैक्स लगता है, वो अब 18% में आ जाएंगी। इसका सबसे ज़्यादा फायदा मिडिल क्लास परिवारों को होने वाला है, क्योंकि उनकी ज़रूरी चीज़ें भी सस्ती होंगी और थोड़ी लग्ज़री वाली चीज़ें भी। सरकार ने इस बदलाव के लिए महीनों की मेहनत की है, हर छोटी-बड़ी चीज़ पर बारीकी से विचार किया गया है। कीटनाशक दवाओं से लेकर छोटे उद्योगों के कच्चे माल तक, हर चीज़ का ध्यान रखा गया है ताकि किसान, छात्र, छोटे व्यापारी और आम जनता, सबको राहत मिल सके। ये एक ऐसा कदम है जो सबको ध्यान में रखकर उठाया गया है।
अर्थव्यवस्था को कैसे मिलेगी रफ़्तार?-सरकार का मानना है कि टैक्स कम होने से लोगों के हाथ में ज़्यादा पैसा बचेगा और वो ख़रीदारी ज़्यादा करेंगे। जब लोग ज़्यादा ख़रीदेंगे, तो बाज़ार में डिमांड बढ़ेगी और इससे इंडस्ट्रीज़ को भी फायदा होगा। हो सकता है कि शुरुआत में टैक्स कलेक्शन थोड़ा कम हो, लेकिन बढ़ती हुई खपत से सरकार को रेवेन्यू की भरपाई हो जाएगी। ये बदलाव ऐसे समय में आ रहा है जब दुनिया भर में भारत को कुछ आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे अमेरिका का हमारे एक्सपोर्ट पर भारी टैरिफ लगाना। ऐसे में, अपने देश के अंदर बाज़ार को मज़बूत करना और ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देना बहुत ज़रूरी है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी स्वतंत्रता दिवस पर आत्मनिर्भर भारत की बात की थी, और ये GST सुधार उसी दिशा में एक बड़ा कदम है। ये हमारी इकॉनमी को मज़बूत करेगा और हमें आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगा।
नया GST सिस्टम कब से होगा लागू?-फिलहाल, वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को राज्यों के मंत्रियों के समूह (GoM) को भेजा है। जब वो इसे मंज़ूरी दे देंगे, तब इसे GST काउंसिल के सामने रखा जाएगा। GST काउंसिल में केंद्र सरकार और सभी राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं, और वही अंतिम फैसला लेते हैं। उम्मीद है कि अगले महीने होने वाली बैठक में इस पर चर्चा होगी और जल्द ही कोई फैसला लिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि ये पूरा बदलाव आम जनता, किसानों, गरीबों और मध्यम वर्ग की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। साथ ही, छोटे और मध्यम उद्योगों (MSME) को भी इससे काफी राहत मिलेगी। सरकार का लॉन्ग-टर्म प्लान तो एक ही स्लैब वाला GST लाने का है, लेकिन फिलहाल ये दो स्लैब वाला सिस्टम देश के लिए सबसे अच्छा और प्रैक्टिकल माना जा रहा है। ये एक बड़ा और सोच-समझकर लिया गया फैसला है।



