रुपये में गिरावट: डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ रुपया, जानें आगे क्या होगा असर

रुपया हुआ कमजोर: डॉलर की बढ़ी मांग और अमेरिकी नीतियों का असर
डॉलर की बढ़ती मांग ने भारतीय रुपये को किया परेशान-सोमवार की सुबह भारतीय रुपया थोड़ी गिरावट के साथ खुला, 11 पैसे गिरकर 87.36 पर आ गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बाजार में डॉलर की मांग बढ़ गई थी, जिससे रुपये पर दबाव आ गया। हालांकि, अच्छी बात यह रही कि विदेशी निवेशकों से मिल रही सकारात्मक फंडिंग और कच्चे तेल की कीमतों में आई नरमी ने रुपये को और ज्यादा गिरने से रोक लिया। अभी सबकी नजर अमेरिका के फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल के जैकसन होल में होने वाले भाषण पर टिकी है, जिससे पता चलेगा कि आगे अमेरिकी मौद्रिक नीतियां कैसी रहेंगी।
आयात शुल्क और अमेरिकी नीतियों की अनिश्चितता का साया-विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये पर दबाव की एक बड़ी वजह आयात शुल्क को लेकर चल रही अनिश्चितता भी है। 27 अगस्त से अमेरिका भारतीय निर्यात पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाने वाला है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ सकता है। इसी वजह से रुपये ने 86.92 के सपोर्ट लेवल को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन हर बार डॉलर की नई खरीदारी आड़े आ गई। अब बाजार इस बात का इंतजार कर रहा है कि जेरोम पॉवेल की टिप्पणी से अमेरिकी मौद्रिक नीतियों की दिशा स्पष्ट हो सके।
कच्चे तेल और डॉलर इंडेक्स की भूमिका-डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापता है, सोमवार को थोड़ा बढ़कर 98.72 पर पहुंच गया। डॉलर की इस मजबूती ने भी रुपये को और कमजोर करने में योगदान दिया। वहीं दूसरी तरफ, ब्रेंट क्रूड ऑयल का भाव थोड़ा गिरकर 67.55 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। जानकारों का कहना है कि फिलहाल तेल की कीमतें स्थिर हैं, लेकिन बाजार में थोड़ी घबराहट बनी हुई है क्योंकि अमेरिका की मौद्रिक नीति को लेकर आगे क्या होगा, यह अभी तय नहीं है। इसके अलावा, रूस-यूक्रेन शांति वार्ता में रुकावट के संकेत भी कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता बढ़ा रहे हैं।
शेयर बाजार पर भी दिखा असर, पर विदेशी निवेश बना हुआ है-सोमवार को भारतीय शेयर बाजार भी दबाव में खुला। सेंसेक्स 262.05 अंक गिरकर 81,738.66 पर आ गया, जबकि निफ्टी 81.55 अंक टूटकर 25,002.20 पर पहुंच गया। हालांकि, अच्छी बात यह है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) का भरोसा भारतीय शेयर बाजार में बना हुआ है। पिछले गुरुवार को FIIs ने 1,246.51 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर विदेशी निवेशकों की खरीदारी जारी रहती है और तेल की कीमतें नीचे रहती हैं, तो आने वाले समय में रुपये को कुछ सहारा मिल सकता है।



