सरकार जाति जनगणना से क्यों बच रही है? राहुल गांधी ने उठाए बड़े सवाल

सरकार जाति जनगणना से क्यों बच रही है? राहुल गांधी के सवालों से फिर छिड़ी राष्ट्रीय बहस- जाति जनगणना को लेकर देश में एक बार फिर से बहस तेज हो गई है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर न तो कोई स्पष्ट नीति बना रही है और न ही कोई तय समय सीमा दे रही है। उनका कहना है कि सरकार बहुजन समाज के भरोसे के साथ धोखाधड़ी कर रही है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि राहुल गांधी ने क्या सवाल उठाए, सरकार ने क्या जवाब दिया और इस पूरे मुद्दे पर क्या बहस चल रही है।
राहुल गांधी के सवाल: सरकार से जाति जनगणना की प्रक्रिया और पारदर्शिता पर जवाब मांग- राहुल गांधी ने लोकसभा में गृह मंत्रालय से कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि सरकार कब जाति जनगणना की प्रक्रिया के हर चरण की समयसीमा बताएगी। उनका तर्क था कि जब देश की सबसे बड़ी जनगणना में जाति से जुड़े सवाल शामिल किए जा रहे हैं, तो जनता की राय लेना और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना बेहद जरूरी है। राहुल गांधी ने यह भी पूछा कि क्या सरकार मसौदा प्रश्नपत्र को जनता के सामने रखकर सुझाव लेगी और क्या वह अन्य राज्यों के सफल मॉडल से सीखने को तैयार है। उन्होंने खासतौर पर कांग्रेस शासित तेलंगाना सरकार के जाति सर्वेक्षण को एक आदर्श मॉडल बताया, जिसे 2027 की जनगणना के लिए अपनाया जाना चाहिए। उनका मानना है कि सामाजिक न्याय के लिए सही आंकड़े और पारदर्शिता जरूरी हैं, तभी योजनाएं सही तरीके से लागू हो सकती हैं।
सरकार का जवाब: तैयारी जारी है, लेकिन कोई स्पष्ट समयसीमा या पारदर्शिता नहीं- सरकार की ओर से गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि 2027 की जनगणना दो चरणों में होगी और उसकी तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा कि प्रश्नावली तैयार करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और विशेषज्ञों से सुझाव लिए जाते हैं और मसौदा प्रश्नावली का फील्ड टेस्ट भी किया जाता है। हालांकि, उन्होंने कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं दी और यह भी नहीं बताया कि मसौदा प्रश्नपत्र जनता को दिखाया जाएगा या नहीं। इस जवाब से विपक्ष का आरोप और मजबूत हुआ कि सरकार जाति जनगणना पर पारदर्शिता से बच रही है। मंत्री ने राज्यों के जाति सर्वेक्षण का जिक्र किया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि उन अनुभवों को केंद्र की प्रक्रिया में कैसे शामिल किया जाएगा।
बहस तेज: क्या सरकार जाति जनगणना को टाल रही है या नीति नहीं बनी?- राहुल गांधी के आरोपों और सरकार के अस्पष्ट जवाब के बाद यह सवाल फिर से उठ रहा है कि आखिर केंद्र सरकार जाति जनगणना को लेकर क्या सोचती है। विपक्ष का दावा है कि सरकार जानबूझकर इसे टाल रही है क्योंकि असली आंकड़े सामने आने से सामाजिक और राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। वहीं सरकार कहती है कि जनगणना एक जटिल और व्यापक प्रक्रिया है, जिसके लिए समय चाहिए। लेकिन अब तक कोई ठोस रोडमैप या सार्वजनिक चर्चा नहीं हुई है। जाति जनगणना को बहुजन समाज और सामाजिक न्याय संगठनों ने जरूरी बताया है, इसलिए केंद्र की चुप्पी को संदेह की नजर से देखा जा रहा है। यह मुद्दा अब केवल आंकड़ों का नहीं, बल्कि विश्वास और पारदर्शिता का भी बन गया है, जहां जनता जानना चाहती है कि सरकार किस दिशा में आगे बढ़ रही है और क्यों स्पष्टता से बच रही है।
इस पूरे मुद्दे पर राष्ट्रीय बहस जारी है और आने वाले समय में यह देखना होगा कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या कदम उठाती है। जाति जनगणना न केवल सामाजिक न्याय के लिए जरूरी है, बल्कि यह देश के विकास और योजनाओं के सही क्रियान्वयन के लिए भी अहम है। जनता की उम्मीद है कि सरकार इस मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही दिखाएगी।



