विकास के वादे अधूरे, सिमगा के चंडी गांव में ग्रामीणों का फूटा गुस्सा

15 साल का इंतज़ार, अब सड़क पर उतरे ग्रामीण: सीमेंट प्लांट का विरोध-एक सीमेंट प्लांट के वादे पूरे न होने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। चंडी गांव के ग्रामीण पिछले 15 सालों से विकास का इंतज़ार कर रहे हैं, लेकिन सीमेंट प्लांट ने उनके साथ वादाखिलाफी की है। अब ग्रामीण सड़कों पर उतर आए हैं और अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
रोज़गार और जमीन वापसी: मुख्य मांगें-ग्रामीणों की मुख्य मांगें हैं- स्थानीय युवाओं को रोज़गार, अधिग्रहीत आदिवासी जमीन का पुनः पंजीयन, जलाशयों पर हो रहे अतिक्रमण की जांच, विस्थापित परिवारों को रोज़गार और अधिग्रहीत ज़मीन वापस। ग्रामीणों का कहना है कि प्लांट सिर्फ़ वादे करता है, काम नहीं।
प्रशासन की भूमिका संदिग्ध?-प्रदर्शन के बाद एसडीएम और एएसपी मौके पर पहुँचे, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। ग्रामीणों को लगता है कि प्रशासन भी इस मामले में गंभीर नहीं है।
सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा और मूलभूत सुविधाओं का अभाव-ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी ने सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है, जिसमें ट्रक यार्ड और सौर पैनल लगाने की जगह शामिल है। गाँव में पानी और अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी है।
15 साल बाद भी विकास का सूखा-सरपंच सत्यभामा बंछोर का कहना है कि 15 साल बाद भी गांव में कोई विकास नहीं हुआ है। कंपनी ने न तो रोज़गार दिया और न ही विकास के लिए कोई कदम उठाया। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तेज होगा।
संवाद की उम्मीद, नहीं तो बढ़ेगा आक्रोश-चल रही बातचीत से लोगों को उम्मीद है कि शायद कोई समाधान निकलेगा। लेकिन अगर कंपनी और प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो ग्रामीणों का आक्रोश और बढ़ सकता है। यह मामला सिर्फ़ एक गांव का नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व का भी बड़ा सवाल है।



