Madhya Pradesh

MP में भ्रष्टाचार के मामलों पर लटक रही फाइलें, विभागों से नहीं मिल रही मंजूरी

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मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार पर सख्ती, लेकिन अभियोजन स्वीकृति के लिए फंसे 283 मामले

भोपाल: सरकार भले ही भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई का दावा करती हो, लेकिन आरोपितों के खिलाफ अदालत में मामला चलाने के लिए जरूरी मंजूरी ही नहीं मिल पा रही है। लोकायुक्त विशेष पुलिस स्थापना (SPE) में 283 मामलों में अभियोजन स्वीकृति अटकी हुई है। कई विभागों के अधिकारी फंसे, पर कार्रवाई रुकी इन मामलों में एक से लेकर 10 या उससे अधिक आरोपी हैं। सबसे ज्यादा मामले राजस्व विभाग, गृह विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से जुड़े हैं। सबसे ज्यादा मामले रिश्वत के, फिर आय से अधिक संपत्ति और पद के दुरुपयोग से संबंधित हैं। पहले अभियोजन स्वीकृति देने के लिए चार माह की सीमा थी, जिसे पिछले साल घटाकर तीन माह कर दिया गया। पहले 350 से ज्यादा मामले लंबित रहते थे, लेकिन सरकार की निगरानी बढ़ाने के बाद कुछ तेजी आई। ईओडब्ल्यू में भी 34 मामले अटके, बैंक घोटालों के ज्यादा केस आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) में भी 34 मामलों में अभियोजन की मंजूरी नहीं मिल पाई है। पहले 100 से ज्यादा केस लंबित थे, लेकिन अब संख्या घटी है। ज्यादातर मामले बैंक घोटालों से जुड़े हैं। बैंकों का तर्क रहता है कि वे खुद ही अपने स्तर पर कार्रवाई करते हैं। स्पेशल पोर्टल के बावजूद सिस्टम सुस्त भ्रष्टाचार मामलों में तेजी लाने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने एक विशेष पोर्टल बनाया है, ताकि मंजूरी में देरी न हो। लेकिन इसके बावजूद सैकड़ों मामले लंबित हैं।  कांग्रेस भी इस मुद्दे को विधानसभा और अन्य मंचों पर उठा चुकी है, लेकिन अब तक मामलों का निपटारा धीमी गति से ही हो रहा है।

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