जगदलपुर के बकावंड विकासखंड के इरिकपाल गांव में दो आदिवासी परिवारों के बीच जमीन विवाद ने दो सगे भाइयों की जान ले ली। हत्यारे हत्या के लिए इतने आमादा थे कि उन्होंने दोनों भाइयों को चारों तरफ से घेर लिया और उनका पीछा कर उन पर हमला कर दिया।
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। यहां जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर बकावंड विकासखंड के इरिकपाल गांव में दो आदिवासी परिवारों के बीच जमीन विवाद ने दो सगे भाइयों की जान ले ली।
शिक्षक शंभूनाथ कश्यप और दिवंगत पूरन सिंह के परिवार के बीच कई सालों से जमीन का विवाद चल रहा था। जिसने खूनी रूप ले लिया। आरोपी चैन सिंह को पकड़ लिया गया। दिवंगत पूरन सिंह के परिवार के लोगों ने खेत में जाकर वहां काम कर रहे दो भाइयों योगेश कश्यप (32 वर्ष) और शेखर कश्यप (25 वर्ष) को कुल्हाड़ी और फरसे जैसे धारदार हथियारों से काट डाला। हमलावरों की संख्या 10 से 12 बताई जा रही है।
दोनों भाइयों को घेरकर दौड़ा-दौड़ाकर हमला किया गया
हत्यारे भाइयों को मारने के लिए इतने कृतसंकल्प थे कि उन्होंने चारों तरफ से घेरकर उन पर हमला कर दिया। हमलावर अपने साथ तीर भी ले गए थे। इस जघन्य हत्याकांड की खबर लगते ही गांव में तनाव व्याप्त हो गया। सूचना मिलने पर पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा व अन्य अधिकारी भी भारी पुलिस बल के साथ गांव पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित किया। शाम को पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया।
मारे गए दोनों भाई शिक्षक शंभूनाथ कश्यप के बेटे थे। मृतक बड़ा भाई योगेश विवाहित था जबकि दूसरा भाई शेखर अविवाहित था। दोनों शंभूनाथ कश्यप के चार बेटे-बेटियों में सबसे बड़े थे। ग्रामीणों से चर्चा के दौरान बताया गया कि हत्या करने के बाद सभी आरोपी भाग गए। देर शाम पुलिस ने आरोपी चैन सिंह को गिरफ्तार कर लिया। घटना के बाद पीड़ित परिवार सदमे में है। गांव में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
तीन दशक से चल रहा था विवाद
दोनों परिवारों के घर स्कूलपारा के एक ही मोहल्ले में पास-पास हैं। ग्रामीणों से बातचीत के बाद जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार शंभूनाथ कश्यप ने कई साल पहले पूरन सिंह से तीन एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदी थी। पूरन सिंह के दो और भाई चैन सिंह और वीरेंद्र सिंह हैं। पूरन सिंह की 1989 में मौत हो गई थी।
पिछले कुछ सालों से इस जमीन को लेकर दोनों परिवारों के बीच विवाद गहराता जा रहा था। मामला कोर्ट में विचाराधीन बताया जा रहा था। पूरन सिंह के परिवार का कहना है कि जमीन बेची ही नहीं गई। परिवार का दावा है कि रजिस्ट्री फर्जी है। पिछले साल भी दोनों पक्षों के बीच खेत में मारपीट हुई थी। इस साल इस विवाद ने दो लोगों की जान ले ली।