भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के लिए भारत को मजबूत सहयोग चाहिए: जयशंकर

एस जयशंकर ने कहा – भारत को चाहिए मज़बूत और विविध ऊर्जा सहयोग
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत, जो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, उसे अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए अलग-अलग देशों के साथ मजबूत संबंध बनाने की जरूरत है। उन्होंने शनिवार को एक बिज़नेस टुडे कार्यक्रम में कहा कि सालों तक वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन) की खूबियां सुनने के बाद, आज दुनिया हकीकत में औद्योगिक नीतियों, निर्यात प्रतिबंधों और टैरिफ युद्धों से जूझ रही है।उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति का एक अहम मकसद आने वाले दशकों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह सिर्फ पेट्रोल-डीजल तक सीमित नहीं है, बल्कि बड़े स्तर पर अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) को अपनाने और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर जैसी नई तकनीकों की संभावनाओं को तलाशने तक फैला हुआ है। जयशंकर ने दोहराया कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते, भारत को अपने ऊर्जा सहयोग को व्यापक और विविध बनाना ही होगा। उन्होंने यह भी बताया कि आज भारतीय दूतावास पहले से ज्यादा सक्रिय हैं और देश के व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। वे कारोबारी अवसरों की जानकारी देते हैं, सलाह देते हैं और जहां संभव हो मदद करते हैं ताकि भारतीय बिजनेस को फायदा हो।
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में भारत की ऊर्जा नीति से जुड़े एक महत्वपूर्ण फैसले का असर वैश्विक स्तर पर दिखा। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फैसले किए, जबकि कुछ देशों ने इसका विरोध किया। मगर सच तो यह है कि हर देश ने अपने फायदे को ही प्राथमिकता दी, भले ही उन्होंने कुछ और दिखाने की कोशिश की हो। जयशंकर ने कहा कि भारत उन गिने-चुने देशों में से है जो रूस और यूक्रेन, इज़राइल और ईरान, लोकतांत्रिक पश्चिमी देश, वैश्विक दक्षिण, ब्रिक्स (BRICS) और क्वाड (QUAD) – सभी के साथ संतुलित रिश्ते बनाए रख सकता है। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में नए हालात को समझना और अपने हिसाब से नीतियों में बदलाव लाना बहुत ज़रूरी हो गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि आज वैश्विक अर्थव्यवस्था को “डि-रिस्क” करने की बात हो रही है। इसका समाधान यही है कि विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) को अधिक विविध बनाया जाए, नवाचार (इनोवेशन) को बढ़ावा दिया जाए, तकनीकी विकास किया जाए और व्यापार को मजबूत किया जाए, खासकर खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों में। उन्होंने कहा, “अगर सब चीजों को जोड़ा जाए, तो हमें एक नया वैश्वीकरण चाहिए – जो ज्यादा न्यायसंगत, ज्यादा लोकतांत्रिक और कम जोखिम वाला हो।” जयशंकर ने कहा कि दुनिया में इस समय बहुत बदलाव हो रहे हैं, चाहे वह व्यापार की दिशा हो या फिर निवेश का प्रवाह। भारत को इसका अधिकतम फायदा उठाने की कोशिश करनी चाहिए। डिजिटल दुनिया में भी बहुत असुरक्षा है, खासकर डेटा के स्रोत और उसके उपयोग को लेकर। डेटा कहां से आता है, कहां प्रोसेस होता है और कैसे इस्तेमाल किया जाता है – ये सभी चीजें बेहद अहम हो गई हैं, क्योंकि दुनिया अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के युग में प्रवेश कर रही है। उन्होंने कहा कि बाजार की मांग और सुरक्षा-गोपनीयता के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। मजबूत राजनीतिक रिश्ते भी अब इन फैसलों में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, जहां दक्षता, प्रतिभा और भरोसे को साथ जोड़कर आगे बढ़ने की जरूरत है।