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मणिपुर में जारी हिंसा के बीच इंटरनेट बैन 10 जून तक बंद……

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मणिपुर में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा 3 को एक रैली के बाद हिंदू मेइती और कुकी आदिवासियों, जो ईसाई हैं, के बीच हिंसा भड़क उठी।

पिछले एक महीने से पूरे राज्य में हिंसा की स्थिति बनी हुई है और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए केंद्र सरकार को अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा। राज्य में शांति बहाल करने के लिए सेना के करीब 10 हजार जवानों और असम राइफल्स को तैनात किया गया था।

मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले में सोमवार सुबह हथियारबंद लोगों के दो समूहों के बीच हुई गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए। पुलिस ने बताया कि घटना जिले के कांगचुप इलाके में हुई।

उन्होंने कहा कि घायलों को इंफाल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। पुलिस ने कहा कि कांगचुप जिले के सेरा में दो समूहों के बीच हुई गोलीबारी में चार लोग घायल हो गए।

वहीं, मणिपुर में लगातार इंटरनेट बंद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया है कि लगातार 24 दिनों तक इंटरनेट पूरी तरह से बंद रहने से अर्थव्यवस्था, मानवीय और सामाजिक जरूरतों के साथ-साथ नागरिकों और याचिकाकर्ताओं और उनके परिवारों की मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ा है।

इस कदम को न केवल मनमाना बल्कि नागरिक अधिकारों का उल्लंघन भी बताया गया था। क्योंकि बच्चों को स्कूल भेजने, उनके बैंक खातों की स्थिति की जांच करने, ग्राहकों से भुगतान लेनदेन, वेतन भुगतान या यहां तक कि ईमेल या संदेश भेजने में भी बाधा आ रही थी। यह नागरिकों के लिए दोहरी मार है। सरकार स्थिति में सुधार करने में असमर्थ है, और इंटरनेट भी बंद है।

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