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‘ऑपरेशन कागर’ पर केसीआर का मोदी सरकार से विरोध, तत्काल रोकने की अपील

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तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री और बीआरएस अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने छत्तीसगढ़ में चल रहे ‘ऑपरेशन कागर’ को लेकर केंद्र सरकार पर कड़ा हमला किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि इस ऑपरेशन के नाम पर आदिवासियों और युवाओं की हत्या की जा रही है। रविवार को हनुमकोंडा जिले में बीआरएस के सिल्वर जुबली समारोह में बोलते हुए केसीआर ने केंद्र से ‘ऑपरेशन कागर’ को तुरंत बंद करने और नक्सलियों से बातचीत करने की अपील की।

केसीआर की अपील: लोकतंत्र में बल का प्रयोग नहीं  केसीआर ने अपने बयान में कहा, “केंद्र सरकार ऑपरेशन कागर के नाम पर छत्तीसगढ़ में युवाओं और आदिवासियों की हत्या कर रही है। यह बिल्कुल गलत है। अगर नक्सलियों ने शांति वार्ता की पेशकश की है, तो उन्हें बल के जरिए खत्म करना लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है।” उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र का हिस्सा नहीं है कि सरकार लोगों की हत्या करती जाए। केसीआर ने केंद्र से अपील की कि नक्सलियों को लोकतांत्रिक तरीके से बातचीत का अवसर दिया जाए और ऑपरेशन कागर को तुरंत बंद किया जाए। उन्होंने जनता से भी अपील की कि इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित किया जाए और इसे केंद्र सरकार तक भेजा जाए।

नक्सलियों से शांति वार्ता की संभावनाएं – हाल ही में नक्सलियों ने एक प्रेस नोट जारी कर दावा किया था कि केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार ने मिलकर ऑपरेशन कागर शुरू किया है, जिसका उद्देश्य उन्हें समाप्त करना है। नक्सलियों ने कहा कि यह अभियान उनके “क्रांतिकारी आंदोलन” के खिलाफ है। इस बीच, एक समूह ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंथ रेड्डी से अपील की कि वह केंद्र सरकार को शांति वार्ता के लिए मनाने की कोशिश करें और संघर्ष को खत्म करने के लिए एक स्थायी समाधान निकाला जाए। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना बॉर्डर पर सुरक्षा बलों का बड़ा अभियान वर्तमान में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के बॉर्डर पर नक्सलियों के खिलाफ एक बड़े अभियान को अंजाम दिया जा रहा है, जिसमें लगभग 10,000 सुरक्षा कर्मी शामिल हैं। इस अभियान के बीच नक्सलियों ने पांचवें दिन भी शांति वार्ता की मांग की है। हालांकि, इस ऑपरेशन ने कई मुद्दों को जन्म दिया है, जिनमें आदिवासी इलाकों में हिंसा और स्थानीय निवासियों के बीच असंतोष प्रमुख हैं।

तेलंगाना में कांग्रेस की आलोचना और केसीआर का जवाब  केसीआर ने कांग्रेस सरकार की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव के दौरान कई वादे किए थे, जैसे लड़कियों को स्कूटी देना, महिला पेंशन बढ़ाना, और शादी के लिए एक तोला सोने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन वादों को पूरी तरह से नकार दिया। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने झूठ बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी और चुनावी प्रचार में दिल्ली से आए ‘डुप्लीकेट गांधी’ ने मंच पर थिरकते हुए उन्हें झूठे वादे किए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार के मुफ्त यात्रा स्कीम ने महिलाओं के बीच झगड़े को बढ़ावा दिया है, क्योंकि महिलाएं बसों में सीट के लिए आपस में भिड़ रही हैं। इसके अलावा, राज्य में ज़मीन की कीमतों में गिरावट भी कांग्रेस सरकार की नीतियों का परिणाम है।

केसीआर की भविष्यवाणी: 2028 में बीआरएस की वापसी  केसीआर ने दावा किया कि बीआरएस 2028 के विधानसभा चुनावों में सत्ता में वापस आएगी। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस और भाजपा दोनों को निशाने पर लिया। कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि यह वही पार्टी है जिसने तेलंगाना राज्य के गठन के खिलाफ काम किया और 1969 में तेलंगाना की मांग को लेकर आंदोलन करने वाले 400 युवाओं की हत्या करवा दी थी। उन्होंने भाजपा पर भी आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने तेलंगाना को मिलने वाली कोई भी वित्तीय सहायता नहीं दी है। वह कहते हैं कि केंद्र सरकार ने राज्य के किसी भी सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा नहीं दिया, जबकि राज्य में बड़ी संख्या में जल संसाधनों की आवश्यकता है।

कांग्रेस और भाजपा को जवाब: केसीआर का राजनीतिक बयान कांग्रेस और भाजपा दोनों पर निशाना साधते हुए केसीआर ने कहा कि कांग्रेस हमेशा तेलंगाना के लिए सबसे बड़ी दुश्मन रही है, क्योंकि उसने तेलंगाना के गठन का विरोध किया और बाद में 1969 में आंदोलन कर रहे युवाओं की हत्या की। भाजपा पर भी हमला करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र में 11 सालों से सत्ता में होने के बावजूद भाजपा ने तेलंगाना के लिए एक भी रुपये की मदद नहीं दी है। राज्य मंत्री पॉंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी ने केसीआर के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार बीआरएस सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं को जारी रखे हुए है और इसके बावजूद नए कार्यक्रमों की शुरुआत भी की है।

निष्कर्ष – कुल मिलाकर, केसीआर ने अपने बयान में ‘ऑपरेशन कागर’ पर गंभीर सवाल उठाए हैं और केंद्र सरकार से इसे बंद करने की अपील की है। उन्होंने नक्सलियों से शांति वार्ता के पक्ष में अपनी बात रखी है और यह माना है कि बातचीत ही समस्या का समाधान है। साथ ही, उन्होंने राज्य सरकार की विफलताओं को लेकर कांग्रेस और भाजपा पर भी हमला किया है। अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इस मामले पर क्या कदम उठाती है और तेलंगाना में राजनीतिक संघर्ष किस दिशा में जाएगा।

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