एमपी में घटी मातृ और शिशु मृत्यु दर, लेकिन अब भी राष्ट्रीय औसत से ज्यादा

एमपी में मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य: उम्मीदों की किरण या अभी भी बड़ी चुनौती?
राष्ट्रीय औसत से थोड़ी पीछे, पर सुधार की राह पर मध्य प्रदेश-मध्यप्रदेश से जो ताज़ा रिपोर्ट सामने आई है, वो बताती है कि यहाँ माँ और बच्चों की सेहत में सुधार तो हुआ है, लेकिन अभी भी हम राष्ट्रीय औसत से कुछ पीछे हैं। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की 2022-2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश में हर एक लाख महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत का आंकड़ा 142 है। ये संख्या पिछले सालों के मुकाबले कम ज़रूर हुई है, लेकिन देश भर के औसत 88 की तुलना में ये लगभग दोगुनी है। ये बताता है कि हमें अभी और मेहनत करनी होगी ताकि हर माँ और बच्चा सुरक्षित रहे।
सुधार के संकेत, पर अभी मंज़िल दूर-सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम-2023 की रिपोर्ट में कुछ अच्छी खबरें भी हैं। मध्य प्रदेश में मातृ मृत्यु दर पहले 159 थी जो अब घटकर 142 हो गई है। इसी तरह, नवजात शिशुओं की मृत्यु दर 29 से 27, कुल शिशु मृत्यु दर 40 से 37 और पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 49 से घटकर 44 हो गई है। ये आँकड़े दिखाते हैं कि सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं और योजनाओं का असर दिख रहा है और इन प्रयासों से धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
सरकारी योजनाएं और डिजिटल पहलों का बढ़ता योगदान-प्रदेश में माँ और बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में, 7 अप्रैल 2025 को शुरू किया गया ‘मातृ-शिशु संजीवन मिशन’ और ‘अनमोल 2.0 पोर्टल’ जैसी पहलें बहुत अहम हैं। इन योजनाओं का मुख्य लक्ष्य 2030 तक मातृ मृत्यु दर को प्रति लाख 80 से कम और नवजात मृत्यु दर को प्रति हजार 10 से नीचे लाना है। डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल करके, ज़्यादा जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान समय पर की जा रही है, जिससे उन्हें बेहतर देखभाल मिल सके।
गर्भवती महिलाओं की नियमित देखभाल का महत्व-सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि गर्भवती महिलाओं की नियमित रूप से जांच हो। हर महीने की 9 और 25 तारीख को विशेष जांच शिविर लगाए जाते हैं। महिलाओं को पोषण किट, आयरन की गोलियां और ज़रूरी टीके दिए जाते हैं ताकि वे स्वस्थ रहें। स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम, जिसमें आशा कार्यकर्ता, नर्स, डॉक्टर और विशेषज्ञ शामिल हैं, मिलकर काम कर रही है। उनकी लगन और मेहनत से ही इन सुधारों को ज़मीनी स्तर पर देखा जा रहा है।
बढ़े हुए बजट से स्वास्थ्य सेवाओं को मिलेगी नई गति-मध्य प्रदेश सरकार ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट में भी बड़ी बढ़ोतरी की है। जहाँ 2024-25 में इसके लिए 3531 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, वहीं 2025-26 में इसे बढ़ाकर 4418 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इस बढ़ी हुई राशि का उपयोग प्रसव-पूर्व जांच, एनीमिया (खून की कमी) को रोकने और अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं पर ज़्यादा ध्यान देने के लिए किया जाएगा। सरकार का यही प्रयास है कि प्रदेश की हर माँ और बच्चे को सुरक्षित और अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलें, और मृत्यु दर में लगातार कमी आती रहे।



