MP बोर्ड एग्जाम: ग्वालियर-चंबल में नकल पर सख्त पहरा, इस बार सिर्फ 7 केस

ग्वालियर: इस बार बोर्ड परीक्षा में नकल माफिया को नहीं मिली खुली छूट, सख्ती के बाद भी सिर्फ 7 मामले सामने आए ग्वालियर-चंबल का नाम जब भी बोर्ड परीक्षाओं में आता है, तो नकल की चर्चा जरूर होती है। यह इलाका पिछले कई सालों से परीक्षा में नकल के लिए कुख्यात रहा है। लेकिन इस बार हालात कुछ अलग नजर आ रहे हैं। 10वीं और 12वीं की आधी से ज्यादा परीक्षाएं हो चुकी हैं, लेकिन अब तक सिर्फ 7 नकल के मामले दर्ज हुए हैं और एक फर्जी परीक्षार्थी पकड़ा गया है। पिछले वर्षों में यह संख्या इससे 2 से 3 गुना ज्यादा हुआ करती थी। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार माध्यमिक शिक्षा मंडल, जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने मिलकर जो रणनीति अपनाई, उसके चलते नकल पर लगाम लगी है। इस बार न सामूहिक नकल के मामले सामने आए और न ही प्रश्नपत्र लीक होने की खबरें आईं।
कैसे रोकी गई नकल? ये रही पूरी रणनीति
1. फर्जी परीक्षार्थियों को रोकने के लिए क्यूआर कोड
भिंड और मुरैना जैसे जिलों में हर साल फर्जी परीक्षार्थी पकड़े जाते थे, लेकिन इस बार सिर्फ दतिया में एक मामला सामने आया है। इसकी वजह प्रवेश पत्र में क्यूआर कोड बताया जा रहा है। इस नई व्यवस्था ने नकल माफिया की साल्वर गैंग को बेबस कर दिया, क्योंकि वे नकली परीक्षार्थियों को बिठाने में नाकाम रहे।
2. पेपर लीक रोकने के लिए कड़ी निगरानी
हर साल परीक्षा से पहले रात या सुबह प्रश्नपत्र लीक होकर सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता था, जिसे छात्र पैसे देकर खरीदते थे। लेकिन इस बार बोर्ड ने थानों से परीक्षा केंद्रों तक पेपर की ट्रैकिंग के लिए एक स्पेशल ऐप का इस्तेमाल किया।
- पेपर थाने से परीक्षा केंद्र पहुंचने और छात्रों तक बंटने तक पूरी प्रक्रिया पर नजर रखी गई।
- इस बार पेपर लीक की अफवाह तक नहीं फैली।
3. संवेदनशील परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरों की निगरानी
ग्वालियर-चंबल अंचल के सभी संवेदनशील और अति-संवेदनशील परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए, जिससे नकल करने वालों की एक-एक हरकत पर नजर रखी गई।
- इससे छात्र भी नकल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए और नकल माफिया की गतिविधियां भी सीमित हो गईं।
4. हर परीक्षा केंद्र पर कलेक्टर प्रतिनिधि की तैनाती
हर परीक्षा केंद्र पर एक कलेक्टर प्रतिनिधि नियुक्त किया गया, जिसकी जिम्मेदारी
- थाने से प्रश्नपत्र लाना,
- परीक्षा समाप्त होने तक केंद्र पर निगरानी रखना और
- व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संचालित करना था।
इससे परीक्षा केंद्रों पर सामूहिक नकल जैसी घटनाओं पर रोक लगी।
5. शिक्षा विभाग और प्रशासन की टीमें कर रही लगातार निरीक्षण
शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की टीमें लगातार परीक्षा केंद्रों का औचक निरीक्षण कर रही हैं, जिससे छात्रों और पर्यवेक्षकों में डर का माहौल बना हुआ है।
इस बार संगठित नकल माफिया भी नहीं चला पाया अपनी चाल
ग्वालियर-चंबल अंचल में हर साल संगठित नकल माफिया सक्रिय रहता था। ये लोग फर्जी परीक्षार्थियों को परीक्षा में बैठाने के अलावा सामूहिक नकल भी कराते थे। लेकिन इस बार बोर्ड और प्रशासन ने परीक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव किए, जिससे ये माफिया अपने इरादों में कामयाब नहीं हो पाए।
अब तक कहां-कितने मामले सामने आए?
जिला | नकल के मामले |
---|---|
ग्वालियर | 1 |
भिंड | 1 |
शिवपुरी | 1 |
मुरैना | 4 |
फर्जी परीक्षार्थी (दतिया) | 1 |
QR कोड ने कैसे किया बड़ा बदलाव?
इस बार प्रवेश पत्र में QR कोड होने के कारण
- नकली परीक्षार्थी परीक्षा देने में नाकाम रहे।
- नकल माफिया साल्वर गैंग को नहीं बैठा पाए।
- हर छात्र की पहचान तुरंत वेरीफाई हो गई।
नतीजा: ग्वालियर-चंबल में इस बार नकल माफिया को नहीं मिली खुली छूट!
इस बार प्रशासन की सख्ती और नई टेक्नोलॉजी की वजह से ग्वालियर-चंबल में नकल करने वालों की कमर टूट गई। अब तक न सामूहिक नकल के मामले सामने आए और न ही कोई बड़ा पेपर लीक हुआ। परीक्षा व्यवस्था में किए गए ये बदलाव आने वाले सालों में भी लागू किए गए, तो यह इलाका बोर्ड परीक्षा में नकल मुक्त बन सकता है।