International

“तालिबान से बातचीत के बिना शांति मुमकिन नहीं: खैबर पख्तूनख्वा CM गंडापुर”

49 / 100 SEO Score

गंडापुर बोले- अफगान तालिबान से बातचीत जरूरी, शांति के लिए खुद लूंगा जिम्मेदारीपाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने कहा कि क्षेत्र में स्थायी शांति लाने के लिए अफगान तालिबान की सरकार से बातचीत करना जरूरी है। उन्होंने खुद इस जिम्मेदारी को संभालने की पेशकश भी की है। इस्लामाबाद में एक इफ्तार पार्टी के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए गंडापुर ने बताया कि उन्होंने एक बातचीत की योजना तैयार की है, जिसमें सभी कबायली इलाकों के बुजुर्गों को शामिल किया गया है। इस प्रस्ताव को उन्होंने विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय को भेजा था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि दो महीने से ज्यादा वक्त बीत गया है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। गंडापुर ने दावा किया कि अगर उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो वह तालिबान को बातचीत की मेज पर ला सकते हैं, क्योंकि समस्या का समाधान सिर्फ संवाद से ही संभव है।

“तालिबान से मिलकर बातचीत करें, यही एकमात्र हल है,” गंडापुर ने कहा। उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान कबायली बुजुर्गों से बातचीत करने से इनकार नहीं करेगा। साथ ही, उन्होंने दावा किया कि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान की अब तालिबान पर कोई पकड़ नहीं रही। गंडापुर, जो पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के वरिष्ठ नेता हैं, ने कहा कि वह किसी भी दिन अफगान तालिबान के सर्वोच्च नेता हिब्तुल्लाह अखुंदजादा से बातचीत कर सकते हैं, लेकिन अभी तक तालिबान से कोई संपर्क नहीं हुआ है। “मैं अखुंदजादा से बातचीत करूंगा,” उन्होंने कहा। “फिलहाल, मेरा तालिबान से कोई संपर्क नहीं है, लेकिन अगर मुझे भेजा जाता है, तो हम इसे कामयाब बनाएंगे,” उन्होंने जोड़ा।

गंडापुर ने यह भी साफ कहा कि जब तक PTI के संस्थापक इमरान खान को रिहा नहीं किया जाता, तब तक कोई राजनीतिक बातचीत नहीं हो सकती। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश में राजनीतिक स्थिरता लाने के लिए इमरान खान की रिहाई जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब तक इमरान खान सत्ता में थे, हालात सामान्य थे, लेकिन उनके हटने के बाद आतंकवाद और अस्थिरता बढ़ी है। गंडापुर ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में जनता के समर्थन की अहमियत को भी रेखांकित किया। उनका कहना था कि किसी भी जंग में जनता का सहयोग सबसे बड़ा हथियार होता है। उन्होंने फिर से अफगानिस्तान से बातचीत की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान की हजारों किलोमीटर लंबी सीमा साझा है। उन्होंने उन लोगों की आलोचना की जो उनके संवाद के आह्वान का विरोध कर रहे हैं। इसके साथ ही, उन्होंने देश में स्थिरता और सुधार लाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत की जरूरत बताई। गौरतलब है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान की 2,500 किलोमीटर लंबी सीमा है, जहां कई क्रॉसिंग पॉइंट हैं, जो व्यापार और लोगों के आपसी संपर्क में अहम भूमिका निभाते हैं। हाल के महीनों में इस सीमा पर तनाव काफी बढ़ गया है, खासकर कुर्रम जैसे इलाकों में, जहां लंबे समय से अस्थिरता बनी हुई है। खैबर पख्तूनख्वा में बिगड़ते सुरक्षा हालात और खासतौर पर कुर्रम इलाके में जारी अशांति को देखते हुए, गंडापुर ने सितंबर 2024 में अफगानिस्तान से सीधे बातचीत करने का प्रस्ताव रखा था ताकि सीमावर्ती इलाकों में शांति बहाल की जा सके। सितंबर 2024 में ही उन्होंने पहली बार अफगान सरकार से सीधी बातचीत करने का विचार रखा था, जिससे आतंकवाद से जुड़े मुद्दों का हल निकाला जा सके।0

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button