वंदे मातरम् पर सियासत? मोदी का कांग्रेस पर बड़ा वार

वंदे मातरम् पर घमासान: पीएम मोदी का कांग्रेस पर तीखा हमला, ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ का लगाया आरोप
‘सामाजिक सौहार्द’ के नाम पर वंदे मातरम् को तोड़ा गया, बोले पीएम मोदी- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम् पर हो रही चर्चा के दौरान कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति के चलते ‘सामाजिक सौहार्द’ का बहाना बनाकर राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् को टुकड़ों में बांट दिया था। पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस का यह रवैया आज भी जारी है। इसी संदर्भ में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर भी सवाल उठाए और एक पुराने पत्र का हवाला देते हुए कहा कि कैसे नेहरू ने खुद वंदे मातरम् को मुसलमानों के लिए आपत्तिजनक बताया था।
नेहरू के पत्र का खुलासा, जिन्ना के विरोध से बदली कांग्रेस की सोच- प्रधानमंत्री ने बताया कि नेहरू ने एक पत्र में सुभाष चंद्र बोस को लिखा था कि वंदे मातरम् का इतिहास मुसलमानों को नाराज़ कर सकता है। उन्होंने याद दिलाया कि यह पत्र उस समय लिखा गया था जब मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ में इस गीत का विरोध किया था। मोदी का आरोप था कि जिन्ना के विरोध के बाद कांग्रेस ने अपनी राय बदल दी और वंदे मातरम् के प्रति नरम रुख अपना लिया। उनके अनुसार, यह कांग्रेस की उस दौर की तुष्टिकरण की राजनीति का प्रमाण था, जहां वह हर विवाद में झुकने को तैयार रहती थी।
1930 के दशक का फैसला, जिसे मोदी ने कहा ‘तुष्टिकरण की शुरुआत’- प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने 1930 के दशक में, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की भूमि बंगाल में एक बैठक आयोजित की और वहां वंदे मातरम् को दो हिस्सों में बांटने का फैसला लिया। मोदी के अनुसार, 26 अक्टूबर का यह फैसला कांग्रेस द्वारा तुष्टिकरण के दबाव का नतीजा था। उन्होंने कहा कि ‘सामाजिक सौहार्द’ के नाम पर यह समझौता असल में तुष्टिकरण की राजनीति की शुरुआत थी, और यदि कांग्रेस वंदे मातरम् को बांट सकती थी, तो वही राजनीति बाद में देश के विभाजन का कारण भी बनी।
गांधीजी भी मानते थे वंदे मातरम् को राष्ट्रीय गीत, फिर क्यों हुआ अन्याय?- मोदी ने अपने भाषण में महात्मा गांधी का भी ज़िक्र किया। उन्होंने बताया कि गांधी ने 1905 में लिखा था कि वंदे मातरम् इतना लोकप्रिय हो चुका था कि वह अपने आप में राष्ट्रीय गीत बन गया था। प्रधानमंत्री ने सवाल उठाया कि अगर यह गीत इतना प्रिय था, तो फिर इसके साथ अन्याय क्यों हुआ और किन ताकतों के दबाव में इसे पीछे धकेला गया। उन्होंने कहा कि उस समय कुछ ताकतें इतनी प्रभावशाली थीं कि उन्होंने गांधी जैसे नेताओं की इच्छाओं को भी अनदेखा कर दिया।
आपातकाल का काला अध्याय और वंदे मातरम् का अपमान- प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि जब वंदे मातरम् 100 साल का हो रहा था, तभी देश आपातकाल की अंधेरी रात से गुज़र रहा था। उन्होंने कहा कि उस दौरान न केवल संविधान को कुचला गया, बल्कि देशभक्ति की आवाज़ उठाने वाले लोगों को जेलों में डाल दिया गया। मोदी ने इसे भारतीय इतिहास का सबसे काला अध्याय बताया, जब लोकतंत्र को दबाया गया और आजादी की भावना को कैद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि आज जब वंदे मातरम् 150 साल का हो रहा है, तो यह अवसर है कि उसके गौरव को फिर से स्थापित किया जाए।
ब्रिटिश शासन में वंदे मातरम् ने जगाई एकता की भावना- मोदी ने बताया कि वंदे मातरम् उस दौर में लिखा गया था जब 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेज दमनकारी नीतियां अपना रहे थे। ब्रिटिश सरकार ‘गॉड सेव द क्वीन’ को बढ़ावा दे रही थी, लेकिन बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने वंदे मातरम् के ज़रिए इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि 1905 में बंगाल विभाजन के समय भी इसी गीत ने लोगों को एकजुट किया। अंग्रेजों ने इसे रोकने के लिए कानून बनाए और बैन भी किया, लेकिन वंदे मातरम् ने स्वतंत्रता संग्राम में लोगों का मनोबल बनाए रखा और आज भी यह गीत वही एकता और साहस की भावना जगाता है।
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