सिंगापुर में संसद भंग, आम चुनावों की तैयारी शुरू

सिंगापुर की संसद मंगलवार को भंग कर दी गई, जिससे आम चुनावों का रास्ता साफ हो गया है। इन चुनावों में लंबे वक्त से सत्ता में बनी हुई पीपुल्स एक्शन पार्टी (PAP) प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के नेतृत्व में अपनी पकड़ और मजबूत करने की कोशिश करेगी। चुनाव विभाग के मुताबिक, वोटिंग की तारीख का ऐलान मंगलवार दोपहर तक कर दिया जाएगा। PAP की जीत लगभग तय मानी जा रही है क्योंकि ये पार्टी 1965 में सिंगापुर की आज़ादी के बाद से लगातार सत्ता में है। लेकिन प्रधानमंत्री वोंग, जो पिछले साल मई में सिंगापुर के चौथे प्रधानमंत्री बने थे, अब पहले से बड़ी जीत दर्ज करना चाहते हैं। 2020 के चुनाव में PAP को जनता की बढ़ती नाराजगी की वजह से झटका लगा था।
वोंग ने ली सीन लूंग की जगह ली थी, जो करीब 20 साल तक सिंगापुर की कमान संभालते रहे। उनके पद छोड़ने के साथ ही ली परिवार के राजनीतिक युग का भी अंत हुआ, जिसकी शुरुआत सिंगापुर के पहले प्रधानमंत्री ली कुआन यू ने की थी। उन्होंने 31 साल तक देश की बागडोर संभाली और एक व्यापारिक बंदरगाह को दुनिया के सबसे अमीर देशों में बदल दिया। 2020 में जब चुनाव हुए थे, तब कोविड-19 का दौर था। उस चुनाव में PAP ने 93 में से 83 सीटों पर जीत हासिल कर बहुमत तो कायम रखा, लेकिन विपक्ष को पहले से ज्यादा सीटें मिलीं। विपक्ष की संख्या 6 से बढ़कर 10 हो गई, जो अब तक की सबसे ज्यादा है। साथ ही PAP की लोकप्रियता भी गिरकर लगभग रिकॉर्ड निचले स्तर 61% पर पहुंच गई थी।
अब वोंग पहली बार PAP के नेता के तौर पर आम चुनाव में उतरने जा रहे हैं। उन्होंने खासतौर पर नाराज़ युवा वोटर्स को जोड़ने की कोशिश की है। इसके लिए उन्होंने “फॉरवर्ड सिंगापुर” नाम की योजना शुरू की है, जिसका मकसद देशवासियों को भविष्य की नीतियों में अपनी बात रखने का मौका देना और एक संतुलित, जोशीला और सबको साथ लेकर चलने वाला विकास मॉडल बनाना है। PAP इस बार पार्टी में नई ऊर्जा भरने के लिए 30 से ज्यादा नए चेहरों को मैदान में उतार रही है। वोंग ने साफ कहा है कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक हालात और अमेरिका की टैरिफ नीतियों के बीच ये देखना बेहद जरूरी है कि देश की बागडोर किन लोगों के हाथ में हो। उन्होंने इस हफ्ते फेसबुक पोस्ट में लिखा, “हमारा सबसे बड़ा मुकाबला किसी पार्टी से नहीं, बल्कि पूरी दुनिया से है। हमारा मिशन एकदम साफ है – देश को स्थिरता, तरक्की और उम्मीद की रौशनी बनाकर रखना।” हालांकि सिंगापुर दुनिया के सबसे अमीर देशों में गिना जाता है, लेकिन साथ ही ये सबसे महंगे शहरों में भी शुमार हो गया है। PAP पर अक्सर सरकार की सख्त पकड़, मीडिया पर सेंसरशिप और असहमति जताने वालों पर सख्त कानून लगाने को लेकर आलोचना होती रही है। कमाई में बढ़ती खाई, घरों के दामों का पहुंच से बाहर होना, इमिग्रेशन की वजह से भीड़भाड़ और बोलने की आज़ादी पर पाबंदियों जैसे मुद्दों ने भी PAP की पकड़ कमजोर की है। (AP)