सियासी मंच पर ‘अमानत’ की मौजूदगी: शिवराज की अगली चाल?

भोपाल: मोदी-शाह के दौर वाली बीजेपी जहां एक तरफ वंशवाद और पारिवारिक राजनीति पर जमकर हमला करती है, वहीं मध्यप्रदेश की सियासत में एक ऐसा नया चेहरा अचानक सामने आया है, जिसने सबका ध्यान खींच लिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की बहू अमानत बंसल की शादी को अभी एक महीना भी नहीं हुआ और वो सियासी मंच पर जिस अंदाज़ में नजर आईं, उसने सियासी हलकों में चर्चा छेड़ दी है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि शिवराज खुद शायद इस बात से दूरी बनाए रखें, लेकिन सवाल ये उठता है कि उन्होंने अपनी बहू को राजनीति के मंच पर लाने के लिए ऐसा वक्त क्यों चुना जब न राज्य में चुनाव हैं और न ही पार्टी को कोई तत्काल सियासी ज़रूरत है? सोमवार को शिवराज के बेटे कार्तिकेय अपनी पत्नी अमानत के साथ विदिशा की भैरुंदा गांव में बीजेपी के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे। इस कार्यक्रम में अमानत ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और कहा कि वो इस इलाके की बेटी की तरह लोगों की सेवा करती रहेंगी। एक ही दिन में लोगों की पसंद बन गईं अमानत कार्यक्रम में अमानत ने जिस सादगी से हाथ जोड़े और जिस आत्मीयता से बात की, उसने वहां मौजूद लोगों को काफी प्रभावित किया। उनके बात करने का अंदाज़ शिवराज जैसा ही था—जुड़ाव वाला, सरल और आत्मीय। यही वजह रही कि अमानत एक ही दिन में लोगों की पसंद बन गईं। गौर करने वाली बात यह है कि शिवराज के परिवार से पहले भी उनके बेटे कार्तिकेय की एंट्री राजनीतिक मंच पर हो चुकी है। हालांकि शिवराज की पत्नी साधना सिंह जो कि किरार समाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, सिर्फ सामाजिक कामों में ही सक्रिय रही हैं और उन्होंने कभी राजनीति में दखल नहीं दिया। उन्हें कभी शिवराज के राजनीतिक वारिस के तौर पर पेश नहीं किया गया। कार्तिकेय को मौका नहीं मिला, अब अमानत का नाम चर्चा में शिवराज के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान का नाम एक समय बुधनी उपचुनाव के लिए चला था, लेकिन संगठन ने तब विदिशा से सांसद रहे रामकांत भार्गव को टिकट दिया और वह चुनाव जीत भी गए। फिलहाल कार्तिकेय भी कोई खास राजनीतिक पहचान नहीं बना पाए हैं।
33 प्रतिशत महिला आरक्षण से जोड़कर भी देखा जा रहा ऐसे में अब शादी के महज कुछ हफ्तों बाद ही उनकी पत्नी अमानत का इस तरह मंच पर आना राजनीतिक गलियारों में सुर्खियां बटोर रहा है। इस कदम को महिला आरक्षण (33%) की दिशा में पार्टी की तैयारी से जोड़कर भी देखा जा रहा है। मध्यप्रदेश में बीजेपी की स्थिति मजबूत है, लेकिन महिला नेताओं की संख्या आज भी कम है। वंशवाद के विरोध के बीच सवालों के घेरे में यह एंट्री पार्टी के अंदर भी चर्चा गर्म है कि जब पिछले दस सालों से बीजेपी वंशवाद के खिलाफ मुहिम चला रही है और यही कारण रहा कि कांग्रेस को कई बार बैकफुट पर जाना पड़ा, तो फिर शिवराज की बहू की यह एंट्री किस रूप में देखी जाए? अमानत के मायके से किसी का राजनीति से लेना-देना नहीं अमानत जिस परिवार से आती हैं, वहां राजनीति का कोई बैकग्राउंड नहीं है। उनका परिवार कारोबार से जुड़ा रहा है और शादी से पहले अमानत के किसी भी राजनीतिक झुकाव की कोई चर्चा नहीं थी। ऐसे में ये सवाल उठता है कि अचानक उन्हें इस तरह मंच पर लाने के पीछे पार्टी या शिवराज की क्या रणनीति हो सकती है? संदेश क्या जा रहा है? प्रदेश में ऐसे कई सीनियर नेता हैं, जो अपने बच्चों को राजनीति में लाना चाहते हैं, लेकिन मोदी-शाह की जो ‘नो वंशवाद’ नीति है, उसकी वजह से वो खुलकर ऐसा नहीं कर पा रहे। चाहे विधानसभा हो, लोकसभा, या फिर संगठन के पद—वंशवाद का हवाला देकर नेताओं के परिवार के लोगों को दरकिनार किया जा रहा है। अब जब शिवराज ने पहले बेटे कार्तिकेय को मंच पर उतारा और अब बहू अमानत की एंट्री हो रही है, तो यह चर्चा का विषय बन गया है कि इससे पार्टी के भीतर और बाहर क्या संदेश जाएगा।