Madhya Pradesh

पूरे साल बहने वाली कनाड़ नदी बनती है इंदौर वालों के लिए गर्मी में सुकून की वजह

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इंदौर (नया पर्यटन स्थल): इस गर्मी में अगर कोई आपसे कहे कि चलो कहीं घूमने चलते हैं, तो सबसे पहले आपके मन में यही सवाल आएगा कि क्या वहां बहुत गर्मी नहीं होगी? क्या ठंडक का इंतजाम है? कितना लंबा सफर करना पड़ेगा, कब तक जाएंगे, कब लौटेंगे, और सबसे ज़रूरी – वहां देखने के लिए खास क्या है? इन सब सवालों का एक बेहतरीन जवाब है – तरानिया गांव और उसके आसपास का इलाका। अब आप सोच रहे होंगे कि इस गांव में ऐसा क्या है जो गर्मियों में भी लोगों को अपनी ओर खींचता है? तो इसका जवाब है – गांव के पास एक ऐसी नदी बहती है, जिसे आप गाड़ी से पार कर सकते हैं। यह नदी इतनी साफ और उथली है कि इसमें तैरते जलीय जीव भी नजर आते हैं, और सबसे खास बात यह है कि इस नदी में सालभर पानी रहता है। इंदौर से 70 किलोमीटर दूर है ये जगह यहां की सैर एक ऐसी जगह की है जो हर किसी के लिए खास हो सकती है – चाहे आप प्रकृति प्रेमी हों, रोमांच के दीवाने हों, राइडिंग पसंद करते हों या धार्मिक स्थलों में आस्था रखते हों। इंदौर से तरानिया गांव पहुंचने के लिए आपको लगभग 70 किलोमीटर का सफर तय करना होगा। तरानिया तक कैसे पहुंचे इंदौर से चोरल-सिमरोल की ओर बढ़ते हुए रास्ते में शनिमंदिर आएगा। इसके बाद आपको ओखलेश्वर मठ जाने का रास्ता मिलेगा। उस रास्ते पर चलते हुए जंगलों के बीच से गुजरने वाला काटकूट वाला रास्ता पकड़ना होगा। यहां वन विभाग की तरफ से बैरियर लगे होते हैं, जिन्हें पार करके आप तरानिया गांव तक पहुंच सकते हैं। यह पहला और आसान रास्ता है।

बड़वाह की तरफ से दूसरा रास्ता अगर आप दूसरे रास्ते से जाना चाहें, तो बड़वाह शहर से ठीक पहले एक बाएं मुड़ती सड़क से होकर जाना होगा, जो आपको काटकूट के रास्ते तरानिया ले जाती है। लेकिन असली रोमांच तो अभी बाकी है – तरानिया तक सड़क बनी हुई है, लेकिन इसके बाद आपको पैदल चलना पड़ेगा, और यह रास्ता आपको उस सुंदर नदी तक ले जाएगा, जो सालभर बहती रहती है। काफी साफ पानी है इस नदी में यूथ होस्टल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक गोलाने बताते हैं कि तरानिया से नदी की दूरी लगभग ढाई से तीन किलोमीटर है। यह रास्ता हरियाली के बीच से गुजरता है और ट्रैकिंग पसंद करने वालों के लिए बहुत अच्छा है, क्योंकि यहां न तो कोई तेज चढ़ाई है और न ही ज्यादा खतरा। थोड़ा ऊबड़-खाबड़ जरूर है, लेकिन यही तो ट्रैकिंग का मजा है। नदी की बात करें तो यह कहीं बहुत उथली है और कहीं थोड़ी गहरी। जहां उथली है, वहां आप आराम से बैठकर नहा भी सकते हैं। इतना साफ पानी है कि कई बार मछलियां और दूसरे जलीय जीव भी साफ दिखाई दे जाते हैं। इस नदी का नाम है – कनाड़ नदी, जो आपके तन और मन दोनों को ताजगी का एहसास दिलाती है। रास्ते में मंदिर दर्शन का भी मौका जब आप इस जगह घूमने निकले हैं, तो धार्मिक दर्शन भी कर लीजिए। रास्ते में शनिमंदिर और ओखलेश्वर धाम में हनुमान जी और शिव जी के दर्शन कर सकते हैं, जिससे आपको एक अलग ही शांति और ऊर्जा महसूस होगी। इन बातों का रखें ध्यान अगर आप यहां जाने की सोच रहे हैं, तो कोशिश करें कि शाम होने से पहले गांव वापस लौट आएं, क्योंकि स्थानीय लोग बताते हैं कि रात को नदी किनारे कुछ जंगली जानवर आ जाते हैं। साथ ही, खाने-पीने का सामान अपने साथ लेकर जाएं, क्योंकि वहां आसपास कुछ भी खाने को नहीं मिलेगा। सुबह-सुबह जाना ज्यादा बढ़िया रहेगा ताकि गर्मी बढ़ने से पहले आप सैर करके लौट सकें। और हां, कृपया वहां गंदगी बिल्कुल न फैलाएं, क्योंकि यह एक खूबसूरत प्राकृतिक जगह है।

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