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सिंगापुर में थाईपुसम का भव्य आयोजन, हजारों भक्तों ने की विशेष पूजा

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सिंगापुर में थाईपुसम उत्सव: 16,000 भक्तों ने भगवान मुरुगन के प्रति निभाई अपनी श्रद्धा सिंगापुर में मंगलवार को धूमधाम से थाईपुसम उत्सव मनाया गया, जिसमें करीब 16,000 भक्तों ने भगवान मुरुगन के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। इस धार्मिक यात्रा में ज्यादातर भक्तों ने ‘पालकुडम’ यानी दूध के कलश उठाने का संकल्प लिया, जबकि करीब 300 श्रद्धालु ‘कवाड़ी’ लेकर चले, जिसमें शरीर, चेहरे और जीभ को धातु की छड़ों से भेदा जाता है। भक्तों का यह जुलूस 3.2 किलोमीटर लंबा था, जो 10 फरवरी की रात 11:30 बजे लिटिल इंडिया के श्री श्रीनिवास पेरुमल मंदिर से शुरू होकर, 11 फरवरी की आधी रात तक टैंक रोड स्थित श्री तेंदायुथपानी मंदिर तक पहुँचा। थाईपुसम तमिल हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है और यह भारत के दक्षिणी हिस्सों की तरह सिंगापुर और मलेशिया में भी भक्ति और जोश के साथ मनाया जाता है। त्योहार के दौरान कई संगीतकारों ने पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाए, जिनकी धुनों पर भक्त झूम उठे और कवाड़ी धारकों को नई ऊर्जा मिली।

भक्तों की आस्था और तैयारी 30 वर्षीय सरवनन राजसुरन, जो एक सेमीकंडक्टर इंजीनियर हैं, पहली बार इस आयोजन में ‘कवाड़ी’ लेकर चले। उन्होंने अपने शरीर में कई धातु की छड़ें धारण की थीं और तेज धूप में अपनी आस्था की परीक्षा दी। उन्होंने बताया, “मैंने इसके लिए 21 दिन तक तैयारी की है।” वहीं, 25 वर्षीय नूषा दक्षिणी ने ‘पाल कवाड़ी’ उठाया, जिसमें शरीर को भेदने की जरूरत नहीं होती। नूषा, जो यूनिवर्सिटी एट बफेलो की समाजशास्त्र की छात्रा हैं, ने कहा, “मैंने इस यात्रा के लिए 30 दिन तक शाकाहारी व्रत रखा। मेरी माँ कई वर्षों तक यह परंपरा निभाती रहीं, और अब मैंने इसे अपनाया है। यह मुझे मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति देता है।” नयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के 23 वर्षीय एन. जे. प्रवीन ने इस आयोजन में पारंपरिक ‘थविल’ ढोल बजाया। उन्होंने बताया कि “कवाड़ी लेकर चलने वाले भक्तों को पारंपरिक संगीत से बहुत प्रेरणा मिलती है।”

लंबे इंतजार पर मंत्री ने जताई चिंता सिंगापुर के गृह और कानून मंत्री के. शनमुगम इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने मंदिर में प्रवेश के लिए भक्तों को लंबा इंतजार करने की समस्या पर ध्यान दिया और कहा, “कई भक्तों, खासकर बुजुर्गों और दूध ले जाने वालों ने बताया कि उन्हें मंदिर में प्रवेश के लिए दो से तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा।” उन्होंने मंदिर प्रबंधन से इस मुद्दे पर चर्चा की और कहा कि इसे हल करने के लिए “तकनीक का इस्तेमाल करने या भक्तों को बैचों में प्रवेश देने जैसे समाधान खोजे जा सकते हैं।” शनमुगम ने समझाया कि “मंदिर के गर्भगृह में पहुँचने पर श्रद्धालु थोड़ा समय बिताना चाहते हैं। लेकिन जब वे कई घंटे इंतजार कर चुके होते हैं, तो उन्हें जल्दबाजी में बाहर निकलने को कहना उचित नहीं लगता। यदि 10 लोग पाँच मिनट भी रुकते हैं, तो इसमें एक घंटा लग सकता है।” मंत्री ने सुझाव दिया कि श्री तेंदायुथपानी मंदिर, हिंदू एंडॉवमेंट्स बोर्ड और अन्य संबंधित संस्थाएं मिलकर इस समस्या का हल निकालें।

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