अन्नामलाई का इस्तीफ़ा: बीजेपी की रणनीति या दबाव का नतीजा?

“ऐसा कुछ नहीं है। (के) अन्नामलाई अब भी तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं, और यही वजह है कि वो मेरे बगल में बैठे हैं,” – ये जवाब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तब दिया जब उनसे पूछा गया कि क्या एआईएडीएमके-बीजेपी गठबंधन की घोषणा अन्नामलाई की जगह तय होने के बाद ही की गई है। हालांकि तकनीकी तौर पर अभी अन्नामलाई ही प्रदेश अध्यक्ष हैं, लेकिन नैनार नागेन्द्रन को शनिवार को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना तय है। ऐसे में बीजेपी के लिए यही एक तरीका था जिससे वो अपनी स्थिति को संभाल पाए। ये बात किसी से छुपी नहीं है कि अन्नामलाई ने खुद ही पद छोड़ने का फैसला इसलिए किया ताकि एआईएडीएमके-बीजेपी गठबंधन बिना किसी अड़चन के हो सके, क्योंकि पूर्व आईपीएस अफसर अन्नामलाई और द्रविड़ दल के नेताओं के बीच बेहतर तालमेल नहीं है। नैनार नागेन्द्रन 2017 में जयललिता के निधन के बाद बीजेपी में शामिल हुए थे। वो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में माने जाते हैं और 2021 से विधानसभा में बीजेपी के फ्लोर लीडर भी हैं। तिरुनेलवेली ज़िले से आने वाले नागेन्द्रन जयललिता की सरकार में परिवहन मंत्री रह चुके हैं और एआईएडीएमके नेताओं से उनके रिश्ते अच्छे माने जाते हैं, यही वजह रही कि बीजेपी ने उन्हें अन्नामलाई की जगह लेने के लिए चुना। सूत्रों की मानें तो अन्नामलाई ने मार्च की शुरुआत में ही हाईकमान को बता दिया था कि अगर एआईएडीएमके के साथ गठबंधन करना ही पड़े, तो वो प्रदेश अध्यक्ष पद से हटना चाहेंगे। “अन्नामलाई ने मार्च 2023 से ही साफ कर दिया था कि अगर बीजेपी एआईएडीएमके से गठबंधन करती है, तो वो प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर काम जारी नहीं रखेंगे। पार्टी नेतृत्व को भी ये बात समझ आई कि उनका पद पर बने रहना गठबंधन में बाधा बन सकता है। ऐसे में नागेन्द्रन को उनकी जगह लाने का फैसला किया गया ताकि वो एआईएडीएमके में अपने संपर्कों के जरिए गठबंधन को जमीनी स्तर पर मजबूत बना सकें,” एक सूत्र ने बताया।
अन्नामलाई का ये रुख सिर्फ गठबंधन से असहमति तक सीमित नहीं था। वो जिस गौंडर समुदाय से आते हैं, उसी से एआईएडीएमके महासचिव एडप्पाडी के. पलानीस्वामी भी आते हैं। ऐसे में पार्टी को लगा कि दोनों पार्टियों के नेता एक ही समुदाय से होंगे तो ये बाकी प्रभावशाली जातियों को गलत संदेश देगा। खासकर थेवर समुदाय को, जो पहले एआईएडीएमके का परंपरागत समर्थन करता रहा है लेकिन अब धीरे-धीरे टीटीवी दिनाकरन और ओ. पन्नीरसेल्वम जैसे बागी नेताओं की तरफ बढ़ रहा है। मध्य और दक्षिण तमिलनाडु में फैले थेवर समुदाय के लोग पहले से ही इस बात से नाराज़ हैं कि एआईएडीएमके अब “गौंडर पार्टी” बन चुकी है, और बीजेपी इस धारणा को बनाए नहीं रखना चाहती थी। “नैनार इस धारणा को तोड़ने में मदद करेंगे कि गठबंधन पूरी तरह से गौंडरों के हाथ में है। एक थेवर नेता के तौर पर वो इस समुदाय को गठबंधन के पक्ष में एकजुट करने में मदद करेंगे,” एक सूत्र ने कहा। अन्नामलाई ने पहली बार मार्च 2023 में ही एक आंतरिक बैठक में अपनी एआईएडीएमके से गठबंधन न करने की इच्छा ज़ाहिर की थी। वो शुरू से ही इस बात को लेकर अडिग रहे कि बीजेपी को तमिलनाडु में अपना आधार बढ़ाने के लिए द्रविड़ दलों पर निर्भर रहना छोड़ना होगा। हालांकि, अन्नामलाई के नेतृत्व में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई, फिर भी बीजेपी ने पहली बार बिना डीएमके या एआईएडीएमके की मदद के राज्य में दोहरे अंकों का वोट शेयर हासिल किया। गठबंधन को कुल 19% वोट मिले, जिसमें से 11% सिर्फ बीजेपी को मिले। अन्नामलाई ने लगातार डीएमके पर तीखे हमले किए, जिसे बीजेपी अपना वैचारिक विरोधी मानती है। साथ ही उन्होंने एआईएडीएमके को भी भ्रष्टाचार और परिवारवाद जैसे मुद्दों पर डीएमके के साथ जोड़ते हुए निशाना बनाया। अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही अन्नामलाई इस सोच के साथ आगे बढ़े कि बीजेपी तभी राज्य में आगे बढ़ेगी जब वो द्रविड़ दलों से दूरी बनाए रखेगी। हालांकि राष्ट्रीय नेतृत्व इस सोच से सहमत तो था, लेकिन शायद उन्हें मौजूदा हालात में डीएमके सरकार को हटाने के अपने तात्कालिक मकसद के लिए एआईएडीएमके से गठबंधन करना ही बेहतर लगा।